मांडल (भीलवाड़ा )
सोमवार रात मांडल कस्बे के मुख्य चौराहे पर हुई गोलीबारी और तस्करों की थार जीप का रहस्यमय ढंग से फरार हो जाना अब एक सवाल बनता जा रहा है। मादक पदार्थों की तस्करी जैसे गंभीर मामले में पुलिस की कार्रवाई को लेकर कई चौंकाने वाले पहलू सामने आ रहे हैं। ‘भीलवाड़ा फोकस’ की टीम ने इस पूरी घटना को स्पेशल इन्वेस्टिगेशन एंगल से खंगाला है, जो कई गहरे सवाल खड़े करता है।
पहला सवाल:
तीन फीट की दूरी से टायर पर फायर, फिर क्यों चूका निशाना?
जिस समय थानाधिकारी ने थार पर गोली चलाई, वह वाहन के बेहद करीब थे। ऐसे में यह तकनीकी चूक थी या जानबूझकर तस्करों को बचाया गया? पुलिस ट्रेनिंग के मानकों के अनुसार इतनी पास से फायरिंग में चूक की संभावना बेहद कम मानी जाती है। सीसीटीवी फुटेज में थानाधिकारी फायर करते हुए देखे जा रहे है ।
दूसरा सवाल:
पुलिस की सरकारी जीप 100 फीट दूर क्यों खड़ी थी?
स्थानीय चश्मदीदों के अनुसार, जब थार जीप रुकी तो पुलिस की जिप्सी मुख्य मोड़ से काफी दूर खड़ी थी। मुठभेड़ की स्थिति में पुलिस वाहन इतनी दूरी पर क्यों था? क्या किसी रणनीति के तहत तस्करों को ‘स्पेस’ दिया गया?
तीसरा सवाल:
डोडा चूरा का एक कट्टा ही गिरा, बाकी कहां गया माल?
तस्कर चलते वाहन से एक कट्टा सड़क पर फेंकते हैं, जिसे पुलिस जब्त कर लेती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वाहन में केवल वही एक कट्टा था या फिर बाकियों को सुरक्षित ठिकाने पहुंचा दिया गया? अगर पुलिस थार तक पहुंच चुकी थी, तो उसका पीछा छोड़ क्यों दिया गया?
चौथा सवाल:
CCTV फुटेज देर से क्यों आया सार्वजनिक?
इस पूरी घटना का CCTV फुटेज घटना के 18 घंटे बाद सामने आया। क्या फुटेज की जांच में जानबूझकर देर की गई? या फिर यह जांच अधिकारी तय कर रहे थे कि क्या दिखाना है और क्या छुपाना?
पांचवां सवाल:
क्या यह अकेली थार थी या पूरी तस्करी चेन का हिस्सा?
बीते कुछ महीनों में इस रूट से मादक पदार्थों की तस्करी के कई मामले सामने आ चुके हैं। सवाल है कि क्या यह एकल घटना थी या संगठित गिरोह द्वारा संचालित नेटवर्क की कड़ी?
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया:
एक दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की हमने देखा पुलिस सामने थी, फिर भी थार वाले आराम से निकल गए। गोली भी चली, कांच भी टूटा, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। पुलिस का रवैया संदिग्ध लग रहा है।
जिम्मेदार कौन?
थाना स्तर की तैयारी में चूक? कार्रवाई के नाम पर दिखावा? या फिर किसी बड़े हाथ की परछाई?
मांडल की इस घटना ने पुलिस की तस्करी के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह जरूरी हो गया है कि जांच केवल थार की तलाश तक सीमित न रहे, बल्कि यह भी देखा जाए कि कहीं कोई ‘भीतर की मिलीभगत’ तो नहीं थी।