राजस्थान प्रदेश के भीलवाड़ा जिले के आसींद क्षेत्र के पालड़ी पंचायत में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जेतपुरा की पूरी इमारत जर्जर होने के कारण प्रशासनिक अधिकारियों ने उसे सील कर दिया था . स्कूल सील करने के बाद पढ़ रहे छात्र पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हो गए , और बच्चों का भविष्य अंधकारमय में दिखाई देने लगा , नामांकित 125 छात्र पास के देवनारायण मंदिर परिसर में लगे एक विशाल बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. बारिश के मौसम में छात्रों के सामने बारिश से बचाना वह जहरीले जंतुओं से अपने आप को सुरक्षित रखना किसी अग्नि परीक्षा से काम नहीं है , जैसे ही बारिश होती है बालकों को छुट्टी देकर घर भेज दिया जाता है। जिससे उनकी शिक्षा में बाधा आ रही है.
ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल भवन की हालत बेहद खराब है और इसे बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए बंद कर दिया गया है. छात्रों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करनी पड़ रही है, जो विशेष रूप से मानसून के मौसम में चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

हालात की गंभीरता को देखते हुए, ग्रामीणों ने स्वयं पहल की है.ओर ग्रामीण गांव की चौपाल पर इकट्ठा हुए और अपने निजी खर्चे पर स्कूल बनाने का निर्णय लिया ।सोमवार को शुभ मुहूर्त में ग्रामीणों के सहयोग से नए स्कूल भवन की नींव रखी गई है. ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने अपने स्तर पर लगभग 8 से 9 लाख रुपये की राशि एकत्रित की है और काम शुरू कर दिया है. चौंकाने वाली बात यह है कि इस पुनीत कार्य के लिए न तो प्रशासन, न सरकार और न ही पंचायत की ओर से अब तक एक भी रुपया प्राप्त हुआ है. ग्रामीणों का यह प्रयास शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सामुदायिक भावना का एक बेहतरीन उदाहरण है.
यह स्थिति स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग की उदासीनता को उजागर करती है, जहां बच्चे मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं और उनकी पढ़ाई दांव पर लगी है. ग्रामीणों को उम्मीद है कि उनके प्रयासों को देखते हुए सरकार और प्रशासन भी सहयोग के लिए आगे आएंगे, ताकि जल्द से जल्द छात्रों को एक सुरक्षित और स्थायी स्कूल भवन मिल सके.
स्थानीय प्रधानाध्यापक सोनाथ रेगर का कहना है कि आसींद प्रशासन द्वारा स्कूल भवन का निरीक्षण करने के बाद स्कूल को सील कर दिया है , हमने अन्य जगह भी बच्चों के लिए बैठने की व्यवस्था की लेकिन उचित जगह नहीं मिलने के कारण स्कूल के पास देवनारायण मंदिर के पेड़ के नीचे बच्चों को पढ़ा रहे हैं । बारिश आने पर छुट्टी कर दी जाती है कई वर्षों पुराना बना हुआ स्कूल भवन जर्जर हो गया है ।