जसवंत पारीक आकोला,
कस्बे सहित क्षेत्र के गांवो में बुधवार को बछ बारस का पर्व पारंपरिक श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। यह पर्व मां और संतान के बीच वात्सल्य भाव का प्रतीक माना जाता है। सुहागिन महिलाएं घर की सुख समृद्धि और अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए गाय व बछड़े की पूजा अर्चना करती है। इस दिन गेहूं से बने पकवान और चाकू से कटी सब्जी नहीं खाई जाती है। मक्का ,बाजरे या ज्वार की रोटी व चने की सब्जी खाई जाती है। गो पूजन करके खुशवाली की कामना की।
