शाहपुरा राजेन्द्र खटीक।
शाहपुरा-तस्वीरें समाज की संस्कृति, रीति-रिवाज और बदलाव की गवाही देती हैं। इन्हीं तस्वीरों को भविष्य के लिए दस्तावेज मानते हुए विश्व फोटोग्राफी दिवस के अवसर पर शाहपुरा फोटोग्राफर एसोसिएशन की ओर से भव्य आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण से हुई। अध्यक्षता शाहपुरा फोटोग्राफर एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल वैष्णव ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ फोटोग्राफर धर्म प्रकाश सोनी, रंगकर्मी रामप्रसाद पारीक, आजाद सिंह सांखला, रामलक्ष्मण वैष्णव फुलिया कला तथा अधिवक्ता दीपक पारीक मौजूद रहे। सभी अतिथियों का माल, साफा और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया।
इस अवसर पर विशेष सम्मान अधिवक्ता दीपक पारीक को भी दिया गया, जिन्होंने पावरलिफ्टिंग और बियर्ड प्रतियोगिता में शाहपुरा का नाम रोशन किया है।
फोटोग्राफर नरेश व्यास ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया वहीं कार्यक्रम का संचालन दीपक पारीक ने किया।
रामलक्ष्मण वैष्णव ने कहा कि फोटोग्राफी जीवन के खास पलों को हमेशा के लिए संजोकर रखती है। उन्होंने घोषणा की कि अगले वर्ष विश्व फोटोग्राफी दिवस फुलिया कला तहसील में भव्य महासंगम के रूप में मनाया जाएगा।
वरिष्ठ फोटोग्राफर रामप्रसाद पारीक ने 70 के दशक से आज तक की फोटोग्राफी की यात्रा और बदलावों को अपने अनुभवों के साथ साझा किया।
धर्म प्रकाश सोनी ने फोटोग्राफी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि फोटोग्राफी की शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी और पहला स्थायी फोटो 1826 में फ्रांसीसी आविष्कारक जोसेफ निप्से ने लिया था। 19 अगस्त 1839 को फ्रांस सरकार ने लुई डैगुएर की खोज डैगुएरोटाइप को जनता के सामने प्रस्तुत किया, जिसे आधुनिक फोटोग्राफी की शुरुआत माना जाता है।
वरिष्ठ फोटोग्राफर आजाद सिंह सांखला ने कहा कि कभी शब्द कम पड़ जाते हैं, लेकिन एक तस्वीर हजारों भाव व्यक्त कर देती है। नवोदित फोटोग्राफर विमलेश धाकड़ और तेजू कुमावत ने भी अपने विचार रखे और फोटोग्राफी को जीवन का अहम हिस्सा बताया।इस अवसर पर सभी फोटोग्राफरों का परिचय सम्मेलन कराया गया और अंत में सभी ने मिलकर फोटोग्राफी को और आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
