राजनीतिक इच्छाशक्ति की भेंट चढ़ा रेल सपना, अब सांसद से जगी उम्मीद
कमलेश सोनी
बिजौलियां।
“रेल का सफर क्या हमारे नसीब में नहीं?” — यह सवाल वर्षों से बिजौलियां और ऊपरमाल क्षेत्र के लोगों के मन में टीस की तरह चुभता रहा है। कोटा-चित्तौड़गढ़ रेल लाइन का जब वर्ष 1981-82 में सर्वे हुआ, तब राजस्थान के मुख्यमंत्री मांडलगढ़ से विधायक शिवचरण माथुर थे। उस समय उम्मीद बंधी थी कि ऊपरमाल को भी रेल का तोहफा मिलेगा, लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत।
राजनीतिक निर्णय बना रोड़ा :
रेलवे के एक सेवानिवृत्त डीआरएम के अनुसार, पहले रेलवे ने बूंदी-बिजौलियां-बेगूं होते हुए कोटा-नीमच रेल लाइन का प्रस्ताव तैयार किया था। लेकिन मुख्यमंत्री माथुर की इच्छा मांडलगढ़ को इस रूट में शामिल करने की थी, जिसके चलते उन्होंने नया सर्वे करवा दिया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऊपरमाल के किसानों की जमीन और पशुधन को लेकर आपत्तियाँ दिखाकर यह संदेश दिया गया कि बिजौलियां क्षेत्र इस रेल लाइन के लिए तैयार नहीं है। नतीजतन लाइन का रुख मोड़ा गया, जिससे रेलवे को नुकसान ही हुआ — भीमलत के पास सुरंग बनाने में करोड़ों खर्च हुए।
ऊंदरो का खेड़ा बना ‘ऊपरमाल’ स्टेशन :
रेलवे ने बिजौलियां से 13 किलोमीटर दूर ऊंदरो का खेड़ा में स्टेशन बनाकर उसका नाम ऊपरमाल रख दिया, ताकि जनता को सांत्वना दी जा सके। लेकिन हकीकत ये है कि इस स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव ही नहीं होता। बिजौलियां को रेल नेटवर्क से बाहर रखने से रेलवे को सेंडस्टोन मालभाड़ा और यात्रियों का भार दोनों में घाटा झेलना पड़ा।
बेगूं के लिए सांसद जोशी के प्रयास :
चित्तौड़गढ़ सांसद व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सी.पी. जोशी ने बेगूं के लिए कोटा-नीमच रेल रूट का सर्वे रावतभाटा–सिंगोली–बेगूं मार्ग से करवाया, जिससे क्षेत्र में एक नई उम्मीद जगी है।
अब उम्मीदें सांसद दामोदर अग्रवाल से :
सांसद दामोदर अग्रवाल वर्तमान में रेल मंत्रालय की स्थायी समिति में नामित सदस्य हैं, जो परियोजनाओं, बजट और प्रगति की निगरानी करती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सांसद अग्रवाल ने हाल ही में मांडलगढ़-भीलवाड़ा रेल लाइन का सुझाव समिति के समक्ष रखा था। यदि वे कोटा-नीमच रेल लाइन में बिजौलियां व बेगूं को जोड़ने का प्रस्ताव समिति में रखते हैं, तो यह वर्षों पुरानी मांग पूरी हो सकती है।
रेल कनेक्टिविटी से सेंडस्टोन व्यापार को मिलेगा बढ़ावा :
यदि बिजौलियां से होकर ट्रेन निकाली जाती है, तो इससे खनिज क्षेत्र विशेषकर सेंडस्टोन उद्योग को बड़ा लाभ मिलेगा। बिजौलियां से नीमच तक कृषि जिंसों का भी व्यापक व्यापार होता है, जो रेल मार्ग से और सशक्त हो सकता है।