शक्करगढ़
क्षेत्र में इन दिनों लाल मुंह बंदरों का आतंक चरम पर है। करीब डेढ़ माह से लगातार बढ़ रही बंदरों की संख्या अब ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बन चुकी है। ग्रामीणों ने बताया कि लाल मुंह के बंदर लगभग 150 से 200 की संख्या में झुंड बनाकर गलियों और खेतों से लेकर घरों की छतों तक सक्रिय रहते हैं।
ग्रामीणों को शारीरिक व मानसिक परेशानी
बंदरों की उग्रता के चलते अब तक कई ग्रामीणों के गिरने और काटने जैसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। महिलाएं व बुजुर्ग तो घर से बाहर निकलने में भी डर महसूस करने लगे हैं। बच्चों को खुले में खेलने नहीं दिया जा रहा है।
संपत्ति और सामान को नुकसान
ग्रामीणों ने बताया कि बंदरों की वजह से छतों पर रखे कपड़े, गमले, सूखाई गई वस्तुएं, यहां तक कि पानी की टंकियां और टोटियां तक सुरक्षित नहीं रह पातीं। बंदर उन्हें उखाड़ देते हैं या तोड़-फोड़ मचा देते हैं, जिससे ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।

किसी से कोई भय नहीं
ग्रामीणों के अनुसार ये बंदर किसी भी तरह का भय नहीं मानते। दिनदहाड़े सैकड़ों की संख्या में झुंड के साथ निकलते हैं और रास्ते में जो भी सामने आता है, उसे परेशान कर देते हैं।
प्रशासन से राहत की मांग
बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने प्रशासन से शीघ्र कार्रवाई कर राहत देने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते बंदरों को नियंत्रित नहीं किया गया, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।