*सत्यनारायण सेन गुरलां*
गुरलां कस्बे और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बुधवार को भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक भाई दूज का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाने वाला यह त्यौहार भाई-बहन के बीच अटूट बंधन और रक्षा के संकल्प का प्रतीक माना जाता है।
सुबह से ही बहनों ने शुभ मुहूर्त में अपने भाइयों की आरती उतारी, तिलक किया और रक्षा सूत्र बांधकर उनके दीर्घायु, सुख और समृद्धि की कामना की। इसके बदले भाइयों ने बहनों को उपहार देकर स्नेह जताया।
ग्रामीण अंचलों में विवाहित बहनें मायके पहुंचीं और भाइयों को तिलक कर पारंपरिक व्यंजन — जैसे खीर और मिष्ठान — प्रेमपूर्वक खिलाए। परिवारों में उत्सव और सौहार्द्र का माहौल देखने को मिला।
धार्मिक मान्यता के अनुसार भाई-बहन यदि यमुना तट पर साथ भोजन करते हैं तो इसे ‘यम द्वितीया’ कहा जाता है, जो कल्याणकारी माना गया है। इस दिन यमराज और उनकी बहन यमुना की पूजा का विशेष महत्व होता है। जिन भाइयों की बहन नहीं होती, वे गौ माता या किसी नदी-तालाब के किनारे प्रतिकात्मक पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

“कुछ स्थानों पर बहनें भगवान श्रीकृष्ण को भाई स्वरूप मानकर मंदिरों में तिलक कर पूजा-अर्चना भी करती हैं।”
कस्बे के विभिन्न मोहल्लों में दिनभर भाई-बहनों द्वारा पारंपरिक रस्में निभाई गईं और दीपावली के इस पावन पर्व का उल्लास छाया रहा।

























