शाहपुरा मूलचन्द पेसवानी
कार्तिक मेले के पावन अवसर पर फूलिया कलां ग्राम पंचायत के तत्वावधान में धानेष्वर धाम में पहली बार आयोजित अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन में देशभर से आए कवियों ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा। आयोजन ने न केवल हास्य का समंदर बहाया बल्कि श्रृंगार, ओज और देशभक्ति की धारा भी प्रवाहित की। कवियों की प्रभावशाली वाणी और मनोरंजक अंदाज ने पावन धाम को काव्य रस में सराबोर कर दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ किया गया। ग्राम पंचायत की ओर से प्रशासक रतनी देवी जाट, सरपंच प्रतिनिधि रामधन जाट एवं ग्राम विकास अधिकारी सावरमल दहिया ने कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि प्रधान पं.स. शाहपुरा माया देवी जाट तथा संतपुरुषों एवं देशभर से पधारे कवियों का शॉल, साफा एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया। सम्मान के इस गरिमामयी क्षण ने समारोह को भव्यता प्रदान की।
सरस्वती वंदना का सुमधुर पाठ मेरठ से आई प्रसिद्ध कवयित्री शुभम त्यागी ने किया। उनकी कोमल वाणी और भावपूर्ण प्रस्तुति ने कार्यक्रम को आध्यात्मिकता से भर दिया व कवि सम्मेलन के वातावरण को दिव्यता प्रदान की।
इसके बाद कार्यक्रम में कवियों की श्रृंखला आरंभ हुई। प्रथम प्रस्तुतिकार के रूप में मंच पर आए राजस्थानी के प्रख्यात हास्य कवि ओम आदर्शी ने अपनी राजस्थानी रचनाओं से माहौल को खिलखिलाहट और ठहाकों से भर दिया। उन्होंने ‘दादा थाने भावै है मक्का की राबड़ी’ और ‘थारै भाया ओरी खी छावै’ जैसी काव्य पंक्तियों से श्रोताओं को इतनी जोरदार हंसी का अनुभव कराया कि पूरा पंडाल ठहाकों से गूंज उठा।
इसके उपरांत कोटा से पधारे ओज के सशक्त कवि भूपेंद्र राठौड़ ने अपने अमिट शब्दों से देशभक्ति की मशाल प्रज्वलित की। उनकी कविताएं भगवान श्रीराम के आदर्शों, शौर्य और धर्म पर आधारित थीं। साथ ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर की गई प्रभावपूर्ण प्रस्तुति ने श्रोताओं की रग-रग में देशभक्ति का जोश भर दिया। लोग उत्साह और गर्व से भरकर तालियों की गड़गड़ाहट से महफिल गुंजा उठी।
शाहपुरा के लोकप्रिय हास्य कवि दिनेश बंटी ने मंच पर आते ही अपनी विशिष्ट शैली से दर्शकों के हंसी के पटाखे फोड़ दिए। उनकी रचना ‘ट्रक ड्राइवर का शादी कार्ड’ और व्यंग्य रचना ‘आप कहोगे ये तो कोई तर्क नहीं मगर मैं समझता हूं मोबाइल और बीवी में कोई फर्क नहीं’ ने उपस्थित भीड़ को हंसी से लोटपोट कर दिया। इसके साथ ही ‘उठावना’ पर की गई हास्य प्रस्तुति ने भी खूब सराहना बटोरी।
कवयित्री शुभम त्यागी और कार्यक्रम संचालक दीपक पारिक के बीच चुटीली नोकझोंक और मनमोहक संवाद शैली ने भी लोगों को खूब आनंदित किया। दोनों के बीच श्रृंगार और हास्य का मिश्रण श्रोताओं के चेहरे पर मुस्कान छोड़ गया।
कार्यक्रम के सूत्रधार एवं प्रसिद्ध हास्य गीतकार राजकुमार बादल ने अपनी व्यंग्यपूर्ण टिप्पणियों और श्रृंगारी गीतों से दर्शकों को खूब आनंदित किया। उनके चर्चित गीत ‘झूठी हामळ भर नट जाती, मन की धुकधुक तो मिट जाती…’ पर दर्शक तालियां बजाते नजर आए। श्रोताओं की फरमाइश पर उन्होंने ‘गठजोड़ा री गांठा, गुळबा में आवै जोर’ गीत पढ़कर आधुनिक पीढ़ी में रिश्तों की नाजुक स्थिति पर गहन संदेश भी दिया।

हास्य कवि दीपक पारीक ने भी अपनी अनूठी शैली से पत्थर दिल को भी मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया। भैरू पर हास्य रचना, पुराने जमाने की बस की घटना और व्यंग्य भरी गजलों ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। उनके संवाद और प्रस्तुति के दौरान उपस्थित जनसमूह हंसी से लोटपोट होता रहा।
कार्यक्रम के शिखर कलश के रूप में अंत में मंच पर पधारे हाड़ौती के विख्यात गीतकार बाबू बंजारा। उन्होंने अपने चर्चित गीत ‘ब्याण जी बाट्या सिक बा दो’ से दर्शकों को रोमांचित किया। इसके बाद महाराणा प्रताप और चेतक की भावनाओं से ओतप्रोत ‘सूतो कांई है चेतक जाग’ गीत सुनाया, जिसने हर श्रोता के हृदय में देशभक्ति का ज्वार भर दिया और कार्यक्रम का ऊंचे स्तर पर समापन हुआ।
समारोह के अंत में प्रशासक प्रतिनिधि रामधन जाट ने सभी कवियों, अतिथियों और ग्रामीणों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन ग्रामीण क्षेत्र में सांस्कृतिक जागरूकता और साहित्य प्रेम को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम निरंतर आयोजित करने का विश्वास दिलाया।
कार्तिक मेले के इस अनूठे कवि सम्मेलन ने धानेष्वर धाम की पवित्र भूमि को हंसी, कविता और संस्कृति की सुगंध से भर दिया। श्रोताओं ने देर रात तक काव्य रस का आनंद लिया और इस शानदार आयोजन को यादगार बताया। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद भी लोग प्रसन्नता और उत्साह के भाव से सराबोर दिखाई दिए।
