Rajasthan : राजस्थान में कल यानि 9 नवम्बर को जयपुर, कोटा, जोधपुर शहरों के सभी 6 निकायों का कार्यकाल पूरा होगा। 11,310 ग्राम पंचायतों और 53 नगरीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। प्रदेश के नगरीय निकायों और ग्राम पंचायतों में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब जनता की आवाज अफसरों के भरोसे रहेगी। यानि जब तक चुनाव नहीं हो जाते हैं तब तक अफसर राज करेंगे।
राजस्थान में शहरी और ग्रामीण सरकारों की राजनीति में अब एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। राज्य के नगरीय निकायों और ग्राम पंचायतों की बागडोर जनप्रतिनिधियों से लेकर अफसरों के हाथों में जा रही है। राज्य की 11310 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, और पंचायत समितियों और जिला परिषदों का कार्यकाल भी जल्द खत्म होने वाला है। वहीं, शहरी निकायों में अगले साल जनवरी तक 196 में से 113 नगर निकायों (नवगठित निकायों को छोड़कर) का कार्यकाल पूरा हो जाएगा।
यह पहला मौका होगा जब प्रदेश में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में शहरी और ग्रामीण निकायों पर प्रशासक शासन लागू होगा। राज्य सरकार इन निकायों में चुनाव कराने की बजाय फिलहाल अफसरों को प्रशासक नियुक्त करने में व्यस्त है। अब तक नवगठित 113 और कार्यकाल पूरा करने वाले 53 नगरीय निकायों की कमान अफसरों को सौंपी जा चुकी है। इसमें प्रमुख शहर जैसे अलवर, भरतपुर, पाली, बीकानेर और उदयपुर भी शामिल हैं।
इसके अलावा जयपुर, जोधपुर और कोटा के छह नगर निगमों का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो रहा है। इन तीनों शहरों में एक-एक निगम रहेगा और संभागीय आयुक्त प्रशासक के रूप में कार्यभार संभालेंगे। शेष 141 निकायों का कार्यकाल भी अगले दो महीने में समाप्त हो जाएगा।
इस तरह फरवरी 2024 के पहले पखवाड़े तक प्रदेश के सभी शहरी निकायों में कोई जनप्रतिनिधि नहीं रहेगा। इसके साथ ही पंचायत समितियों और जिला परिषदों का कार्यकाल भी दिसंबर में समाप्त होने जा रहा है, जबकि न्यायालय राज्य सरकार को चुनाव कराने के लिए कई बार आदेश दे चुका है।

शहरी और ग्रामीण सरकार एक नजर
1,09,228 पंच ग्राम पंचायत में
11,320 सरपंच ग्राम पंचायत में
10,175 पार्षद निकायों में
6,995 पंचायत सीमित सदस्य
1,014 जिला पंचायत सदस्य
(अभी करीब 3,500 नई पंचायतों की इकाई और बनेगी, जिनमें करीब 20 हजार नए जनप्रतिनिधि और चुने जाएंगे)
21 जिला परिषद, 222 पंचायत समिति में प्रशासक
राज्य की 11695 ग्रामीण इकाइयों में, जहां जनता हर पांच साल में अपने जनप्रतिनिधियों को चुनती थी, अब अफसरों द्वारा प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे। 11310 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो चुका है, लेकिन चुनाव न होने की वजह से सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया गया है। इसी तरह, 352 पंचायत समितियों में से 222 समितियों का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर में समाप्त हो जाएगा। सरकार ने फिलहाल इन इकाइयों के चुनाव कराने की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की है।
