अंता उपचुनाव में मतदान से पहले की शांति ने राजनीतिक दलों की धड़कनें तेज कर दी हैं। यह शांति मतदाताओं का मन भी बार-बार बदल रही है। पिछले परिसीमन के बाद अंता सीट पर चार बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। दो बार कांग्रेस और दो बार भाजपा जीती है। यह पहला उपचुनाव है। दो बार अलग-अलग सीटों से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके नरेश मीणा यहां के वोटर्स के लिए भूल-भुलैया बन गए हैं।
भाजपा कार्यकर्ता कह रहे कि नरेश के वोट कांग्रेस को कमजोर करेंगे। कांग्रेसी कह रहे कि दोनों ही दलों के बराबर वोट छिटक सकते हैं। बता दें कि 2003 में बारा की एक विधानसभा सीट पर ऐसे ही एक निर्दलीय प्रत्याशी के खड़े होने से कांग्रेस व भाजपा दोनों के वोट कटे थे। दोनों ही दल विरोधी पार्टी को नुकसान के मुगालते में रहे और जीत निर्दलीय की हुई।
यहां सामान्य व ओबीसी वर्ग के बाद मीणा, धाकड़ और माली समाज सर्वाधिक हैं। हालांकि, जीत का गणित किसान और व्यापारी ही तय करेंगे। काशीपुरा के कृष्णमुरारी मालव ने कहा कि निर्दलीय प्रत्याशी के बाहर से आए समर्थक धाकड़ बाहुल्य गांव में डेरा जमाए हैं। हमारा समाज भाजपा को वोट करता है, लेकिन इस फौज ने मन भटकाया है। वहीं, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भाजपा और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अपनी पार्टी का बूथ मैनेजमेंट खुद संभालते दिखे।
मुद्दे, जो पलटते रहे मन
विधानसभा क्षेत्र में 3 बड़े शहरी क्षेत्र अंता, सीसवाली और मांगरोल हैं। प्रचार के शोर की शांति से पहले इन तीनों इलाकों ने ही चुनावी रंग घोला था। अंता के सत्यनारायण प्रजापत बताते हैं- यहां किसानी सबसे ज्यादा होती है और उसके बाद व्यापारी वर्ग है। पिछले दिनों बारिश से सोयाबीन सहित अन्य फसलों के खराब होने और उन्हें तुरंत मुआवजा नहीं मिलने से किसानों में नाराजगी जरूर है।

हालांकि, सीएम के आश्वासन से इसमें बदलाव जरूर आएगा। जबकि, व्यापारी वर्ग के लिहाज से देखें तो सीसवाली में स्वर्णकार समाज की नाराजगी चुनाव बहिष्कार तक पहुंच गई थी। सीसवाली के मनोज सोनी कहते हैं- सरकार ने प्रदेश भाजपा से जुड़े समाज के एक नेता को बुलाकर नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। आमतौर पर वणिक वर्ग को भाजपा का कोर वोटर माना जाता है, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी के वैश्य समाज के होने के कारण वे इस बार भी समाज के वोटरों में सेंध लगाते दिख रहे हैं।
सीएम-राजे फिर एक साथ, डोटासरा-जूली का रोड-शो, गहलोत की सभा
प्रचार के अंतिम दिन रविवार को भी सीएम भजनलाल शर्मा और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में रोड-शो किया। कांग्रेस प्रत्याशी के लिए प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा और टीकाराम जूली ने रोड शो किया। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सभा को संबोधित किया।
शेष वोटर सामान्य वर्ग से जुड़े
जातियों के बंटे वोटर्स जाति के उम्मीदवार के पक्ष में खड़े दिखते हैं। हालांकि 30% परंपरानुसार ही वोट करते हैं। ठीकरिया गांव के रविकांत कुमावत कहते हैं- मतदान में हर कोई रुचि लेता है, लेकिन इस बार खाई थोड़ी बढ़ी है। फिर भी मीणा समाज अपने जातीय प्रत्याशी के पक्ष में आया है। देखना यही है कि अंतिम दो दिन दोनों बड़ी पार्टियां उनमें से कितना अपनी ओर खींच पाती है।
ताकत और कमजोरी
प्रमोद जैन भाया, कांग्रेस
मजबूत पक्ष : धार्मिक व सामाजिक कार्यों में भरपूर सहयोग करते हैं।
कमजोर पक्ष : भ्रष्टाचार के आरोप, तुष्टिकरण की राजनीति।
मोरपाल सुमन, भाजपा
मजबूत पक्ष : साधारण व्यक्तित्व, स्वच्छ व ईमानदार की छवि है।
कमजोर पक्ष : लोगों के बीच अनजाना, नया चेहरा।
नरेश मीणा, निर्दलीय
मजबूत पक्ष : युवाओं की फौज, माहौल बनाने में माहिर।
कमजोर पक्ष : एक ही समाज के नेता होने का ठप्पा, व्यवहार।
