भीलवाड़ा में UIT लॉटरी पर हाईकोर्ट का स्टे:भ्रष्टाचार और सॉफ्टवेयर हेराफेरी के आरोप, आवंटन प्रक्रिया पर लगाया रोक

BHILWARA
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भीलवाड़ा शहरी सुधार न्यास (यूआईटी) की विवादित भूखंड लॉटरी आवंटन योजना पर राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर की खंडपीठ ने स्टे ऑर्डर जारी किया है। न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने भ्रष्टाचार और सॉफ्टवेयर हेराफेरी के आरोपों वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। इसके चलते आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक अलॉटमेंट लेटर जारी न किया जाए, जिसके परिणामस्वरूप आवंटन प्रक्रिया पर रोक लग गई है।

सॉफ्टवेयर हेराफेरी के आरोप

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि यूआईटी ने लॉटरी प्रक्रिया एक गैर-प्रमाणित निजी सॉफ्टवेयर से करवाई, जिसका न तो कोई सुरक्षा ऑडिट हुआ था और न ही सरकारी अनुमोदन प्राप्त था। इससे पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं। आरोपों में कहा गया है कि सॉफ्टवेयर के जरिए प्रभावशाली व्यक्तियों को अनुचित लाभ दिया गया।

परिजनों को लाभ पहुंचाने का आरोप

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि यूआईटी के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी ने अपने परिजनों को प्लॉट आवंटित किए, जिससे हितों का टकराव हुआ। कई संपन्न परिवारों को एक से अधिक प्लॉट भी मिले, जबकि निर्धन आवेदकों को वेटिंग लिस्ट में रखा गया।


नियमों के उल्लंघन का हवाला

याचिकाकर्ताओं के अनुसार पूरी प्रक्रिया राजस्थान अर्बन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (डिस्पोज़ल ऑफ अर्बन लैंड) रूल्स, 1974 के नियम 10 और 26 के विपरीत संचालित की गई। कई सफल आवेदकों की ITR और बैंक विवरणों में विसंगतियां पाई गईं, जिससे पात्रता को लेकर भी सवाल उठे।

हाईकोर्ट का नोटिस और अगली सुनवाई

अदालत ने राज्य सरकार और यूआईटी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने कहा कि यूआईटी अब अपनी प्रक्रिया और सॉफ्टवेयर चयन को लेकर जवाब पेश करे। हालांकि, मंगलवार से शुरू हुआ दस्तावेज़ सत्यापन कार्यक्रम यथावत जारी रहेगा।