अजमेर जिले की पीसांगन थाना पुलिस ने अनाथ बेटी का मायरा भरा। पुलिसकर्मियों ने जब 51,751 रुपए नकद और 20 हजार की ज्वैलरी भेंट की, तो सुमित्रा की आंखें भर आईं।
महज तीन साल की उम्र में मां का आंचल छिन गया, और छह साल की होते-होते पिता का साया भी उठ गया।
माता-पिता की मौत के बाद बेसहारा सुमित्रा को नानी और मामा ने सहारा दिया, लेकिन मामा के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद उन्होंने सुमित्रा का लालन-पालन किया।
महंत श्याम बोहरा ने पुलिस को दी थी जानकारी
पीसांगन थानाधिकारी प्रहलाद सहाय ने बताया कि पीसांगन के ब्यावर रोड स्थित नई धाम के मुख्य उपासक महंत श्याम बोहरा ने रिछमालिया गांव निवासी अनाथ सुमित्रा रैदास के बारे में जानकारी दी, जिसके माता-पिता का निधन हो चुका है। सुमित्रा का लालन-पालन पगारा गांव निवासी उसके मामा बीरम जाटोलिया, सेठू जाटोलिया और हाथीराम जाटोलिया कर रहे हैं। 13 नवंबर को उसका विवाह अजमेर निवासी मिश्रीलाल उंदरीवाल के पुत्र अभिषेक के साथ हो रहा है।

पुलिस ने मायरा भर दिया आशीर्वाद
पुलिस टीम ने बेटी सुमित्रा के विवाह पर मायरा भरने का बीड़ा उठाया और राजस्थानी परंपरानुसार मायरे की रस्म निभाते हुए 51,751 रुपए नकद व 20 हजार की ज्वैलरी, जिसमें चांदी की पायजेब, हाथ के कड़े व सोने की बाली भेंट की।
3 साल की उम्र में मां को खोया
सुमित्रा के मामा बीरम ने भावुक होते हुए बताया कि उनकी बच्ची ने बचपन से बहुत दुख देखे हैं। 3 साल की उम्र में बीमारी के चलते उसकी मम्मी की मौत हो गई थी और 6 साल की उम्र में पिता का साया भी उठ गया। सुमित्रा के माता-पिता की मौत के बाद हमने ही इसका पालन-पोषण किया। पुलिस ने जो मायरा भरा, उससे उनकी बच्ची बहुत खुश थी।
पुलिस ने बहुत अच्छा काम किया
महंत श्याम बोहरा ने कहा कि पुलिस ने बहुत अच्छा काम किया है। इससे गरीब परिवार को कुछ सहायता मिली है। यह समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है
