श्रीमद् भागवत से भक्ति ज्ञान वैराग्य व तत्व प्राप्ति संभव – संत दिग्विजयराम

BHILWARA
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मांडल गढ़ 16 नवम्बर 2025
राम स्नेही सम्प्रदाय के संत रमताराम जी के शिष्य युवाचार्य संत दिग्विजयराम जी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत हमें भक्ति ज्ञान वैराग्य एवं तत्व का मर्म समझाकर जीवन पापों से मुक्ति के साथ मोक्ष प्रदान करने का पावन ग्रंथ हैं। युवाचार्य संत दिग्विजयराम  ने  कास्ट  परिवार  द्वारा  आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद भागवत कथा महोत्सव के प्रथम दिवस व्यासपीठ से रसामृतपान करवा रहे थे। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत से ही राजा परिक्षित के सभी भ्रम दूर हो सके। उन्होंने बताया कि भागवत वक्ता वैरागी एवं श्रोता प्रभु अनुरागी हो तभी भक्ति सरिता प्रवाहित होने का आनंद मिल सकता हैं।

उन्होंने भागवत के प्रथम श्लोक का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान का सद् चित रूप हैं, जिनके दर्शन मात्र से दैहिक सुख संभव हैं। उन्होंने भगवान शिव द्वारा पार्वती को अमर कथा श्रवण कराने के दौरान शुक सूत द्वारा श्रवण करने पर शिव द्वारा क्रोधित होकर उसे मारने का उद्धम करने तथा शुक सूत द्वारा वेद व्यास की भार्या के मुख के माध्यम से गर्भस्थ होकर द्वादश वर्ष उपरांत बाहर आते ही वनवास जाकर भगवत भक्ति करने का मार्मिक वर्णन करने के साथ ही सूत जी द्वारा 88 हजार ऋषियों को कथा श्रवण कराते हुए कहा कि जीव के दो शत्रु नींद और निंदा हैं, जिन पर विजय पाने से ही प्रभु भक्ति और मोक्ष प्राप्ति संभव हैं। उन्होंने भक्ति के दो पुत्र ज्ञान और वैराग्य की चर्चा करते हुए कहा कि सनद कुमारों द्वारा भागवत श्रवण कराने से ज्ञान और वैराग्य वृद्धावस्था से पुन: युवा बन पाए। उन्होंने आत्मदेव धूंधूंली और गोकर्ण का संदर्भ का उल्लेख करते हुए कहा कि गोकर्ण के ज्ञान से ही धूंधूकारी प्रेत योनी से मुक्त हो सका। इस दौरान भक्तिमय भजनों से समूचा कथा मंडप भक्ति सरोवर में हिलोरे लेता रहा। भक्त शिरोमणि मीरा के भजनों से तो संपूर्ण वातावरण कृष्ण और मीरा की भक्ति से सरोबार हो गया। संत  ने  कहा कि व्यक्ति के जीवन में  सुख  दुख  तो  आते हैं  परंतु  अपनों की  पहचान  भी  व्यक्ति को अपने  संकट के समय ही  होती है l संकट के  समय  अपने  इष्ट  पर  पूर्ण विश्वास  रखना चाहिए जेसा  मीरा ने  अपने  इष्ट  श्री  कृष्ण  पर  किया  था  l प्रारंभ कास्ट  परिवार की ओर से व्यासपीठ पर विराजित युवा संत दिग्विजयराम जी, संत रमताराम जी का आत्मिक स्वागत एवं अभिनन्दन करने के साथ ही मुख्य श्रोता के रूप में विराजित ठाकुर जी की पूजा अर्चना करते हुए व्यासपीठ का पूजन किया गया। प्रथम दिवस की कथा विश्राम पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ की आरती की।


भव्य शोभायात्रा एवं कलश यात्रा ने
धर्म नगरी को निरूपित किया भक्तिमय
मेवाड़ के प्रसिद्ध भक्ति  व धर्म  नगर में कास्ट  परिवार द्वारा आयोजित  सप्त  दिवसीय  श्री  मद  भागवत  कथा के  प्रथम  दिवस पर  ठाकुर जी के  मंदिर  से  कथा  स्थल तक  निकाली गई  शोभा यात्रा एवं कलश यात्रा  ने इस  धर्म नगरी को भक्तिमय  निरूपित करने में कोई  कोर- कसर नहीं  रक्खी  l शोभायात्रा  में माता  बहिनें  अपने  सिर पर कलस  लेकर  चल रही थी य़ह  शोभायात्रा  बडे  मंदिर से  प्रारम्भ  होकर  कथा  स्थल तक  पहुची  l  शोभायात्रा एवं कलश  यात्रा  का  पूरे  मार्ग में  नगर  वासियों द्वारा  पुष्प  वर्षा कर आत्मिक  स्वागत  व अभिनंदन  किया  l स्थानीय  निवासियों  द्वारा  पुष्प  वर्षा करते हुए  ठाकुर जी  की  पूजा  अर्चना की  l   इस  दौरान  सुसज्जित  रथ  में श्रद्धेय  संत  रमता राम जी व संत दिग्विजय राम जी  विराजमान  थे  जिनका  स्थानीय  निवासियों द्वारा  पूजा  अर्चना कर  स्वागत  व अभिनन्दन  किया l  शोभायात्रा  का पूरा मार्ग फूलों  से  भर गया l यह  जलूस  मांडल गढ  में  एतिहासिक  रहा l