कोटा।
केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, भारत सरकार द्वारा कोटा नारकोटिक्स कार्यालय में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अफीम किसानों की सलाहकार बैठक आयोजित की गई। बैठक में आगामी अफीम नीति 2026 को लेकर किसान संगठनों से सुझाव आमंत्रित किए गए। इस अवसर पर भारतीय किसान संघ चित्तौड़ प्रांत की ओर से प्रतिनिधियों ने भाग लिया और किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई जरूरी बिंदुओं पर सुझाव प्रस्तुत किए।
बैठक में किसानों ने मांग की कि पिछले वर्ष औसत उपज के आधार पर रोके गए सीपीएस पद्धति वाले पट्टों को पुनः जारी किया जाए और 60 किलो प्रति 10 आरी उपज देने वाले किसानों को भी लाइसेंस दिया जाए। साथ ही यह भी कहा गया कि पिछले चार वर्षों से गोदामों में जमा पड़ा डोडा चूरा अब तक उपयोग में नहीं लाया गया है, इसलिए किसानों को पुनः गोंद निकालने की अनुमति दी जाए ताकि उन्हें रोजगार मिल सके।
प्रतिनिधियों ने पुराने लाइसेंस (1991–1998) को शून्य औसत या प्रकाशित सूची के आधार पर पुनः बहाल करने की भी मांग की, क्योंकि इनमें से कई किसान पिछले वर्ष भी औसत की शर्तों के कारण वंचित रह गए थे। इसके अतिरिक्त डोडा चूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर कर आबकारी अधिनियम में शामिल करने और अफीम नीति हर साल सितंबर के पहले सप्ताह में घोषित करने की आवश्यकता जताई गई, ताकि किसानों को समय पर बुवाई का अवसर मिल सके।
किसानों ने अफीम की कीमत ₹10,000 प्रति किलो किए जाने की भी मांग की, जिससे महंगाई और बढ़ती लागतों के अनुरूप उन्हें लाभ मिल सके। साथ ही यह भी कहा गया कि धारा 8/29 को हटाया जाए क्योंकि यह किसान विरोधी है। शिक्षित बेरोजगारों को अफीम के नए लाइसेंस देने की भी सिफारिश की गई।
प्रतिनिधियों ने कहा कि विभाग ने औसत उपज बढ़ा दी है लेकिन गाढ़ता (डिग्री) के मापदंड यथावत हैं, जिससे उत्पादन तो बढ़ेगा पर गुणवत्ता कमजोर हो सकती है। इसलिए अफीम की परख के मानकों में रियायत दी जाए और 70 डिग्री के स्थान पर 50 डिग्री तापमान को आधार माना जाए। साथ ही, पहले की तरह दो प्लॉटों में बुवाई करवाने और 1998 से 2015 तक औसत की कमी से रोके गए सभी लाइसेंस बहाल करने की भी मांग रखी गई।
बैठक में बद्रीलाल जाट, बद्रीलाल तेली (बड़ला अफीम किसान संघर्ष समिति), गोपाल अवलेश्वर (प्रांत जैविक प्रमुख), मि_ठूलाल चित्तौड़गढ़, विक्रम सिंह बारा (प्रांत उपाध्यक्ष), सोहनलाल आंजना, किसान नेता रामकुमार जाट, मांडलगढ़ विधायक प्रतिनिधि जगदीश चंद्र सराना सहित कई प्रमुख किसान नेता उपस्थित रहे।
