भीलवाड़ा जिले के मांडल क्षेत्र में स्थित मेजा बांध, जिसे क्षेत्र की जीवन रेखा माना जाता है, में बड़ी राहत की खबर आई है। मेजा बांध की कुल भराव क्षमता 31 फिट है, जिसमें वर्तमान में 28 फिट पानी भरा हुआ था। इसी बीच बांध के बीच बने टापुओं पर लगभग 50 से अधिक पशुधन फंसे होने की सूचना मिली।

मांडल तहसीलदार उत्तम कुमार जांगिड़, समाजसेवी विकास प्रजापति, गो भक्त गोपाल गुर्जर सहित कई ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने सिविल डिफेंस बचाव एवं राहत टीम के सदस्यों के साथ मिलकर फंसे हुए पशुधन का रेस्क्यू कार्य शुरू किया। यह जानकारी मत्स्य ठेकेदार द्वारा तहसील मुख्यालय मांडल पर दी गई थी, जिसके बाद प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की।

गो भक्त गोपाल गुर्जर ने बताया कि सूचना मिलते ही मांडल तहसीलदार से संपर्क किया गया। तहसीलदार उत्तम कुमार जांगिड़ ने गंभीरता से मामले को लेते हुए भीलवाड़ा से एसडीआरएफ टीम को बुलाया और स्वयं घटनास्थल पर जाकर रेस्क्यू कार्य का संचालन किया। समाजसेवी विकास प्रजापति ने बताया कि फंसे हुए पशुधन में मुख्य रूप से गायें शामिल थीं, जो लगभग 20 से 25 दिनों से टापुओं पर फंसी हुई थीं। ग्रामीणों और रेस्क्यू टीम के संयुक्त प्रयास से उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया।

मांडल तहसीलदार उत्तम कुमार जांगिड़ ने बताया कि पशुधन को बचाने के बाद स्वास्थ्य परीक्षण के लिए पशु चिकित्सक की टीम बुलाई गई। सभी गायें स्वस्थ पाई गईं। उनका पशु चिकित्सक द्वारा परीक्षण कराकर गोशालाओं में सुरक्षित भेजा जाएगा।
इस बचाव कार्य की प्रशंसा स्थानीय जनमानस में की जा रही है, जिससे प्रशासन की संवेदनशीलता और तत्परता की मिसाल कायम हुई है।
