भीलवाड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर जिले में चल रहे सेवा दिवस कार्यक्रमों के बीच एक अजीबो-गरीब विवाद सामने आया है। जिसमे सड़कों पर वेज बिरयानी बेचने वाले ठेलेवालों को लेकर एक जनप्रतिनिधि के कुछ लोगों ने अचानक मोर्चा खोल दिया। बिरयानी शब्द को लेकर उठी आपत्ति इतनी बढ़ी कि सड़क पर हंगामा हो गया और पुलिस को भी हस्तक्षेप करना पड़ा।
मौके पर पुलिसकर्मियों ने स्थिति तो संभाली, लेकिन इस विवाद ने सेवा दिवस की गंभीरता पर ही सवाल खड़े कर दिए। स्थानीय लोगों का कहना था कि शहर में अंडरब्रिज, सड़कों की हालत, ट्रैफिक जाम और सफाई जैसी गंभीर समस्याओ से जूझ रहा है, लेकिन नेताजी के लोग सेवा कार्य के नाम पर गरीबों के ठेलों और रेहड़ियों को निशाना बनाकर राजनीति की रोटिया सेंक रहे हैं।
ठेलेवालों का कहना है कि उन्होंने बोर्ड पर साफ-साफ वेज बिरयानी लिखा हुआ था और वही परोसी भी जा रही थी, फिर भी उन्हें दुकानें हटाने और बोर्ड उतरवाने के लिए मजबूर किया गया। एक ठेलेवाले ने कहा हम गरीब लोग दिन-रात मेहनत करते हैं। अगर खाने के नाम तक पर आपत्ति जताई जाएगी, तो हमारी रोज़ी-रोटी कैसे चलेगी?
सूत्रों के अनुसार, नेताजी के नजदीकी ने अपने प्रभाव को बताने के लिए हंगामे के बीच स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी को भी फोन कर मौके पर बुलाया और कुछ ठेलों की जांच करवाई है। इससे गरीब दुकानदारों में और नाराज़गी फैल गई।
स्थानीय निवासियों का कहना है कीशहर में सफाई और यातायात व्यवस्था बुरी तरह बिगड़ी हुई है, बेरोज़गारी बढ़ रही है, लेकिन सेवा दिवस के नाम पर बिरयानी के बोर्ड हटाने का खेल खेला जा रहा है। यह सेवा नहीं, नौटंकी है।
घटना के बाद लोगो में नेताजी का ख़ौफ़ है । लोगों ने सवाल उठाया कि क्या सेवा दिवस का मकसद वास्तव में जनता की मदद करना है, या फिर छोटे-छोटे मुद्दों को बड़ा बनाकर चर्चा बटोरना?