भीलवाड़ा : राजकुमार गोयल
भीलवाड़ा, शनिवार। सेठ मुरलीधर मानसिंहका राजकीय कन्या महाविद्यालय में पारम्परिक गरबा महोत्सव “नवरंग” का आयोजन बड़े उत्साह एवं उल्लास के साथ किया गया। माँ आदिशक्ति को समर्पित यह महोत्सव महाविद्यालय की सांस्कृतिक परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग लेकर अपनी कला और ऊर्जा का प्रदर्शन किया।
महाविद्यालय की छात्रा अधिष्ठात्री डॉ. प्रतिभा राव ने जानकारी दी कि इस बार महोत्सव में 200 से अधिक छात्राओं ने गरबा की धुनों पर भक्ति और उमंग से भरपूर प्रस्तुतियाँ दीं। महोत्सव का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. कैलाशचंद्र गुप्ता द्वारा माता दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

माँ दुर्गा की आराधना स्वरूप नृत्य प्रस्तुति विद्या कोली ने दी, जिसने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इसके पश्चात छात्राओं ने पारंपरिक वेशभूषा में समूह एवं एकल नृत्य प्रस्तुतियाँ दीं। विविध रंग-बिरंगे परिधानों, लयबद्ध संगीत और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा महाविद्यालय प्रांगण गरबा के उल्लास में सराबोर हो गया।
एकल गरबा नृत्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हिमांशी वैष्णव, द्वितीय स्थान विद्या कोली एवं तृतीय स्थान किरण नायक व कोमल आचार्य को संयुक्त रूप से प्राप्त हुआ।
युगल गरबा नृत्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान तनिशा शर्मा व दिशा कामड़ , द्वितीय स्थान किरण नायक व हिमांशी वैष्णव के साथ विद्या कोली व नंदिनी उपाध्याय को संयुक्त रूप से, तृतीय स्थान कोमल आचार्य व खुशी तँवर व ज्योति आचार्य व मेधा धोबी को संयुक्त रूप से मिला।
श्रेष्ठ वेशभूषा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान इशिका जैन, द्वितीय स्थान ख़ुशी कँवर एवं तृतीय स्थान अनुपमा सिंह व पायल कुमारी को प्राप्त हुआ।
महोत्सव की सफल आयोजन व्यवस्था में महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्यों ने अनुशासन, प्रबंधन और निर्णायक मण्डल के रूप में सक्रिय योगदान दिया। निर्णायक मण्डल में डॉ. सुधा नवल, डॉ. इंदुबाला पटवारी, डॉ. सुनीता भार्गव, रेखा चावला एवं नेहा शर्मा शामिल रही।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. ज्योति सचान एवं डॉ. रंजीता गर्ग ने सहज एवं प्रभावशाली ढंग से किया।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. गुप्ता ने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजन न केवल छात्राओं की प्रतिभा को मंच प्रदान करते हैं, बल्कि उनमें परंपरा, कला और सामाजिक एकजुटता के मूल्यों को भी विकसित करते हैं। छात्राओं की सक्रिय भागीदारी और अनुशासन ने आयोजन को और अधिक सफल व यादगार बना दिया।
अंत में “नवरंग” गरबा महोत्सव तालियों की गूंज और माता रानी के जयकारों के साथ संपन्न हुआ।