कोटा में वर्क फ्रॅाम होम के नाम से महिलाओं को काम देने के बहाने ठगी का मामला सामने आया है। अनंतपुरा थाना इलाके में पचास से ज्यादा महिलाओं ने अनंतपुरा थाने पहुंचकर मामले में शिकायत की है। ठगी का शिकार महिलाओं की संख्या ज्यादा है और लाखों की ठगी की गई है। महिलाओं को घर से ब्रेल लिपि तैयार करने का काम दिया गया था। इसकी एवज में ढ़ाई हजार रूपए लिए गए। चैन सिस्टम से लोगों को जोड़ा गया और शनिवार को कंपनी कोटा से भाग गई। पीड़ितों ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज करवाई है। दरअसल, कोटा के सुभाषनगर इलाके में सिंतबर में ओएसिस इंटरप्राइजेज के नाम से एक ऑफिस शुरू किया गया था। जिसमें लोगों को जोड़ा गया। यहां पर महिलाओं को वर्क फ्रॉम होम का काम दिया जा रहा था। ठगी का शिकार हुई बॉम्बे योजना सुभाष नगर निवासी आरती अग्रवाल ने बताया कि काम में उन्हें कागज दिए जाते थे जिन पर अक्षर लिखे होते थे।
उन अक्षरों में छेद करके डॉटस बनाने होते थे जो ब्रेल लिपी की तरह होते है। कंपनी संचालकों ने भी यही बताया था कि वह दृष्टिबाधित संस्थाओं के लिए काम करते है। काम देने की एवज में ढ़ाई हजार रूपए लिए गए थे। इसके बाद कहा गया था कि हर पंद्रह दिन में डेढ़ सौ पेज पूरे करने पर चार हजार रूपए दिए जाएंगे। आरती ने बताया कि वह पंद्रह दिन पहले संस्था से जुड़ी थी। शनिवार सुबह जब ऑफिस में कागज देने गई तो वहां ताला मिला। संचालकों को कॉल किया तो फोन बंद आ रहा था। इसी दौरान और भी लोग वहां पहुंच गए, इनमें से कई तो नया काम लेने के लिए आए थे तो कई काम की पेमेंट लेने आए थे। ठगी का पता लगने के बाद लाेग इकट्ठा होकर अनंतपुरा थाने पहुंचे जहां ठगी की शिकायत दी गई।

पहले पेमेंट भी दिया ताकि भरोसा हो
विनोभाभावे नगर निवासी धनराज की पत्नी ने भी यहां से काम लिया था। धनराज ने बताया कि वह सिंतबर से इस कंपनी से जुडे थे। शुरू में तो कंपनी ने पंद्रह दिन में रूपए भी दिए। चार चार हजार रूपए दिए गए। ऐसे में झांसे में आकर उनसे काम लेना शुरू कर दिया। पता नहीं था कि ऐसे अचानक कंपनी ताला लगाकर फरार हो जाएगी। महिला अफरोज ने बताया कि उसने भी कंपनी में पैसा जमा करवाया था। डेढ़ सौ पेज उसे भी दिए गए थे। उसके तेरह पेज बाकी थे। वह तैयार करके शनिवार को ही जमा करवाना था। शनिवार को सुबह उनके मकान के पास ही रहने वाली महिला ने कॉल कर बताया कि कंपनी पर तो ताला लग गया है। जिसके बाद वह भी मौके पर पहुंची। महिला ने बताया कि आर्थिक स्थिति खराब है, तभी तो कंपनी से जुडे़ थे। लेकिन जो कुछ रकम हमारे पास थी वह भी कंपनी वालों ने ठग ली।
चैन सिस्टम से जोड़ने पर पांच सौ रूपए
कंपनी संचालकों ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए चैन सिस्टम चलाया था। लोगों को झांसे में लेने के लिए पहले तो शुरू में जो लोग जुडे उन्हें काम के बदले चार हजार रूपए दिए गए। इसके बाद लोगों से कहा गया कि और लोगों को जोड़ने पर पांच सौ रूपए का कमीशन भी मिलेगा। इस झांसे में आकर लोगों ने दूसरे लोगों को भी इस कंपनी से जोड़ना शुरू कर दिया। इस तरह एक के बाद एक लोग कंपनी से जुड़ते रहे। विनोभाभावे के रहने वाले धनराज ने बताया कि उसने ही पांच सात लोगों को जुड़वाया है, हम वह उससे रूपए मांग रहे है। इसी तरह अन्य लोगों ने भी अपने रिश्तेदारों, दोस्तों को कंपनी में जुड़वाया और उनसे पैसे जमा करवा दिए।
स्टाफ को सैलरी नहीं, कोटा छोड़ने को कहा
कंपनी ने ऑफिस में बीस लोगों को स्टाफ भी रखा था। जिन्हें जॉइन करने के बाद से ही सैलरी नहीं दी गई। सैलरी मांगने पर कहा जाता कि कुछ दिन में सैलरी अकाउंट खुलवाकर उसके जमा करवा देंगे। यहां काम करने वाले संजय ने बताया कि उसे बीस हजार रूपए सैलरी का वादा कर रखा गया था। लेकिन सैलरी नहीं दी गई। यहां रोज स्टाफ की भर्ती भी की जा रही थी। ऑफिस में काम से जुडऩे के लिए रोज पांच सौ से ज्यादा लोग आ रहे थे। ऐसे में ठगी का शिकार हुए लोगों की संख्या सैकडों में हो सकती है। जॉब कर रही कोमल ने बताया कि शनिवार सुबह ग्रुप पर मैसेज किया गया कि ऑज से परमानेंट ऑफिस बंद हो गया है, किसी को भी काम पर नहीं आना है। जो लोग काम कर रहे हैं वह कुछ दिन के लिए कोटा छोड़कर चले जाए। इसके बाद से कंपनी संचालकों के नंबर बंद है।
