बूंदी । जिले से ऐसा मामला सामने आया है ,जिसने पूरे प्रशासनिक सिस्टम की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। यहां राजस्व विभाग ने एक ऐसे व्यक्ति को ‘अतिक्रमी’ बताकर जमीन से बेदखल कर दिया, जिसकी मौत आठ साल पहले ही हो चुकी थी। न केवल उसे जीवित बताते हुए पेश मान लिया गया, बल्कि उसके नाम पर बेदखली, फसल की नीलामी और जुर्माने तक के आदेश जारी कर दिए।
कैसे सामने आया पूरा फर्जीवाड़ा?
रघुनाथपुरा निवासी इंद्रजीत पुत्र प्रहलाद की मौत 17 अक्टूबर 2016 को हो चुकी थी। लेकिन फरवरी 2024 में पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर नैनवां तहसीलदार राम राय मीणा ने इंद्रजीत के नाम नोटिस जारी कर दिया। नोटिस में लिखा गया कि इंद्रजीत ने खसरा संख्या 66 की 2 बीघा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है और एक महीने में खुद अतिक्रमण हटाना होगा।

एक महीना पूरा होते ही 12 मार्च 2024 की ऑर्डर शीट में तहसीलदार ने लिख दिया पत्रावली पेश हुई। अतिक्रमी उपस्थित। अतिक्रमण करते पाया गया। फसल जब्त कर नीलाम की जाए और बेदखली की कार्रवाई की जाए।

यहाँ सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिसे ‘उपस्थित’ बताया गया… वह लगभग आठ साल पहले ही मर चुका था।
पटवारी ने मृतक के हस्ताक्षर तक बना दिए
तहसीलदार के आदेश के बाद तत्कालीन पटवारी दीपक शर्मा ने बेदखलनामा और नीलामी रिपोर्ट तैयार कर दी। रिपोर्ट में मृतक इंद्रजीत के दस्तखत तक दर्ज कर लिए गए, जबकि पंचायत रिकॉर्ड में उनकी मृत्यु 2016 में प्रमाणित है।

शिकायतकर्ता का आरोप-प्रशासन ने गलती छिपाने के लिए दबाव डाला
गांव के प्रताप नारायण मीणा ने इस फर्जीवाड़े को उजागर किया और एसपी को शिकायत देकर आरोपितों पर कार्रवाई की मांग की। उनका कहना है कि गलती सामने आने के बाद विभाग ने इंद्रजीत की पत्नी पर दबाव डालकर फर्जी एफिडेविट बनवा लिया, ताकि पटवारी और अन्य अधिकारियों को बचाया जा सके।

एफिडेविट में लिखा गया पटवारी या किसी अन्य की कोई गलती नहीं है, यह शपथ पत्र मैं अपनी इच्छा से दे रही हूँ।
पंचायत समिति मीटिंग में तहसीलदार जवाब नहीं दे सके
शुक्रवार को हुई नैनवां पंचायत समिति की साधारण सभा में मामला जोरदार तरीके से उठा। प्रधान पदम नागर ने कड़ा सवाल पूछा जिंदा लोगों के काम नहीं हो रहे, तो 8 साल पहले मरा हुआ व्यक्ति तहसील में कैसे पेश हो गया? उसके साइन कैसे बन गए? बेदखली और नीलामी कैसे हो गई?

तहसीलदार राम राय मीणा इन सवालों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
अब कार्रवाई की मांग तेज
मामला सामने आने के बाद ग्रामीणों व शिकायतकर्ता ने दोषी पटवारी और सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित फर्जीवाड़ा है, जिसने प्रशासनिक विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
