शाहपुरा और फुलिया कलां क्षेत्र में यूरिया खाद का गंभीर संकट; समितियाँ और डीलर स्टॉकविहीन, किसान महीनेभर से निराश,रबी सीजन पर मंडराया बड़ा खतरा।

BHILWARA
Spread the love

रबी सीजन में यूरिया की भारी कमी से खेती ठप होने की कगार पर, किसान गहरी निराशा में,दर दर भटकने को मजबूर।

शाहपुरा@(किशन वैष्णव )शाहपुरा और फुलिया कलां क्षेत्र इस समय यूरिया खाद की अभूतपूर्व किल्लत से गुजर रहा है। रबी सीजन के मध्य में जब गेहूं,चना और सरसों की प्रथम खाद डाली जानी होती है, उसी समय इस महत्वपूर्ण उर्वरक की उपलब्धता लगभग समाप्त हो चुकी है। न सहकारी समितियों के पास स्टॉक है और न ही निजी डीलर किसी प्रकार की आपूर्ति की स्थिति में हैं। इस कारण किसानों पर जबरदस्त दबाव बन गया है और वे पिछले एक महीने से लगातार खाद की तलाश में गांवों,कस्बों और कृषि केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं।ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों को दूर दराज गांवो तक भागदौड़ कर महंगे दामों में खरीदकर वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ रही है।पूर्व उप सरपंच एवं कांग्रेस नेता दुर्गा शंकर त्रिवेदी का कहना है कि यह संकट सामान्य कमी नहीं, बल्कि गंभीर कृषि–प्रशासनिक असंतुलन का परिणाम है। उन्होंने बताया कि किसानों को हर बार एक ही जवाब मिल रहा है कि स्टॉक नहीं आया और यह स्थिति लंबे समय से जारी है। रबी की शुरुआत में जिस उत्साह के साथ किसान बुवाई में जुटे थे,वही आत्मविश्वास अब अनिश्चितता और चिंता में बदल चुका है।क्षेत्र के कई किसानों ने बताया कि खाद की अनुपलब्धता ने खेती की पूरी समय–सारणी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। खेतों की पहली सिंचाई पूरी हो चुकी है और अब पौधों की बढ़वार के लिए यूरिया की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। लेकिन लगातार प्रयासों के बावजूद खाद तक पहुंच न बना पाना किसानों के लिए आर्थिक, मानसिक और उत्पादन तीनों स्तरों पर नुकसानदेह साबित हो रहा है। कई किसानों का कहना है कि इस तरह की स्थिति उन्होंने वर्षों में नहीं देखी,जहां पूरे क्षेत्र में एक भी वितरण केंद्र खाद उपलब्ध नहीं करा पा रहा।कुछ किसानों ने यह भी बताया कि खाद न मिलने से फसलें पीली पड़ने लगी हैं और खेतों की मिट्टी अपनी सक्रियता खोने लगी है।वही ग्रामीण किसानों के अनुसार,अगर कुछ दिन ओर पहली खाद में देरी होने से इस वर्ष के उत्पादन में उल्लेखनीय गिरावट आ सकती है,और इसका सीधा प्रभाव उत्पादन और किसान की आय पर पड़ेगा। उत्पादन घटने की आशंका से किसान पहले ही चिंतित हैं, जबकि उर्वरक की कमी उन्हें आने वाले महीनों की आर्थिक स्थिति पर भी सवाल खड़े कर रही है।क्षेत्रीय स्तर पर किसान इस बात पर आक्रोशित हैं कि न तो समितियों ने पारदर्शी सूचना जारी की है और न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी स्थिति का प्रत्यक्ष निरीक्षण करने पहुंचा है। किसानों का कहना है कि खाद की वास्तविक उपलब्धता, वितरण और आपूर्ति प्रक्रिया को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी उन्हें नहीं दी जा रही, जबकि स्टॉक की अचानक अनुपलब्धता कई सवाल खड़े करती है।पूर्व में आस पास में यूरिया खाद के सैकडो बैग आए थे लेकिन एक दिन में ही आस पास के बड़े किसानों द्वारा 10 से 20 बैग एक साथ वितरण कर दिए जाते हैं

जिससे छोटे बड़े किसानों को यूरिया खाद हाथ नहीं लग पाया।किसानों के अनुसार, यदि समय रहते सप्लाई मजबूत नहीं की गई तो अगला पूरा सीजन प्रभावित हो सकता है।कांग्रेस नेता दुर्गा शंकर त्रिवेदी ने प्रशासन से तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि शाहपुरा और फुलिया कलां जैसे बड़े कृषि क्षेत्र में इतने लंबे समय तक स्टॉक का न आना अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने शासन से आग्रह किया कि अतिरिक्त आपूर्ति भेजी जाए, वितरण तंत्र की समीक्षा की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि आने वाले दिनों में किसानों को किसी भी प्रकार की कमी का सामना न करना पड़े।इस बीच, किसान आशा लगाए बैठे हैं कि प्रशासन आपूर्ति श्रृंखला को तत्काल बहाल करेगा, ताकि फसलें समय पर पोषण प्राप्त कर सकें और उनकी मेहनत पर संकट के बादल न घिरें। रबी सीजन के बीच उपजे इस संकट ने किसानों को बड़ी चुनौती के सामने ला खड़ा किया है, और समय बीतने के साथ स्थिति और अधिक गंभीर होती जा रही है।वही कुछ किसानों का कहना है कि यूरिया खाद चोरी छिपे ब्लैक में महंगे दामों में भी बेचा जा रहा है।