कोटा । गर्वित विजयवर्गीय
कोटा विकास प्राधिकरण (केडीए) में गुरुवार को आयोजित जनसुनवाई स्टेशन क्षेत्र के लोगों के भारी रोष का मंच बन गई। स्टेशन रोड को चौड़ा करने की योजना के तहत जिन 190 मकानों और दुकानों के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, उनके मालिक बड़ी संख्या में पहुंचकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। लोगों ने स्पष्ट कहा कि वे पिछले 40 से 50 साल से यहां बसे हुए हैं और अब अचानक उन्हें उजाड़ने की तैयारी समझ से परे है। दस्तावेज मांगने पर भी अधिकारियों की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया जा रहा कि आखिर केडीए की मंशा क्या है और इस कार्रवाई का अंतिम उद्देश्य क्या होगा।

जनसुनवाई की अध्यक्षता कर रहे केडीए सचिव मुकेश चौधरी के सामने लोगों की नाराज़गी साफ दिखाई दी। स्थानीय निवासी अशोक गेरा ने कहा कि पूरे रास्ते को चौड़ा करने की बजाय स्टेशन रोड पर सिर्फ चार दुकानों के कारण मार्ग संकरा है, उन्हें व्यवस्थित कर दिया जाए तो समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी। वहीं व्यापारी हरीश बावेजा, नरेश सिंह, मनप्रीत सिंह, विवेकानंद शुक्ला, सतीश विजय सहित कई लोगों ने कहा कि उनके परिवारों ने दशकों पहले यहां व्यापार शुरू किया था और अब जब दुकानों ने स्थिरता पकड़ ली है, केडीए उन्हें तोड़ने पर जोर दे रहा है। व्यापारियों का आरोप था कि बाजार का सर्वे कर लिया गया, लेकिन उनसे चर्चा तक नहीं की गई, जबकि किसी भी बड़े फैसले से पहले प्रभावित लोगों से बातचीत होना जरूरी है।
स्थिति को देखते हुए सचिव चौधरी ने आश्वासन दिया कि सभी पक्षों को सुनने के बाद ही व्यापक हित में निर्णय लिया जाएगा और बिना बातचीत के कोई अंतिम फैसला नहीं होगा। जनसुनवाई में स्टेशन क्षेत्र के लोगों की भारी भीड़ और गुस्से के माहौल ने साफ कर दिया कि सड़क चौड़ीकरण का यह मुद्दा आने वाले समय में और गंभीर स्वरूप ले सकता है।

इसी जनसुनवाई में कुल 47 आवेदन पहुंचे, जिनमें पट्टा, नामांतरण, लीज निष्पादन, रिफंड, भवन निर्माण स्वीकृति, अतिक्रमण, अवैध निर्माण, सीमांकन, पुनर्वास, प्रधानमंत्री आवास योजना और आवासीय योजनाओं में मूलभूत सुविधाओं से जुड़े मामले शामिल रहे। इस दौरान एक प्रकरण में परिवादी द्वारा भूलवश दो बार जमा कराई गई लीज राशि में से 2,50,373 रुपये मौके पर ही वापस कर दिए गए। अन्य मामलों में आवश्यक निर्देश जारी किए गए, जबकि विस्तृत जांच की आवश्यकता वाले प्रकरणों को संबंधित शाखाओं को समयसीमा तय कर आगे की कार्रवाई के लिए भेजा गया।
सचिव ने पूर्व में आयोजित जनसुनवाई के मामलों की भी समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिए कि रिफंड, पट्टा, नामांतरण, अतिक्रमण और मूलभूत सुविधाओं से जुड़े मामलों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। आवश्यक होने पर फील्ड निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए। जनसुनवाई के दौरान उपायुक्त मालविका त्यागी, उपायुक्त हर्षित वर्मा, सभी निदेशक और तहसीलदार उपस्थित रहे।
