स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल में विरासत प्रदर्शनी पुरानी मुद्राओं, डाक टिकटों और दुर्लभ संग्रहों ने बच्चों को किया प्रेरितशाहपुरा मूलचन्द पेसवानी

BHILWARA
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स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल, शाहपुरा में सोमवार को एक अनोखी व ज्ञानवर्धक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें पुराने सिक्कों, डाक टिकटों, विदेशी मुद्राओं और विभिन्न ऐतिहासिक संग्रहों को विद्यार्थियों के लिए प्रदर्शित किया गया। यह प्रदर्शनी स्वतंत्रता सेनानी पंडित लादूराम व्यास के सुपुत्र तथा विख्यात संग्रहकर्ता सोमेश्वर व्यास द्वारा किए गए वर्षों के अथक संकलन पर आधारित रही।



मीडिया प्रभारी डॉ. परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने बताया कि सोमेश्वर व्यास ने अपने जीवन के कई वर्षों में विभिन्न देशों की मुद्राएं, दुर्लभ सिक्के, ऐतिहासिक डाक टिकट, अलग-अलग तरह के मैच बॉक्स कार्ड और शाहपुरा राजपरिवार से जुड़े दस्तावेजों सहित अनमोल धरोहरें संजोकर रखी हैं। इन्हीं संग्रहों को पहली बार विद्यालय स्तर पर बच्चों के लिए प्रदर्शित किया गया, जिससे विद्यार्थियों में ऐतिहासिक वस्तुओं के प्रति रुचि जागृत हो सके।

प्रदर्शनी का उद्घाटन विद्यालय के प्राचार्य ईश्वर लाल मीणा द्वारा किया गया। उन्होंने इस पहल को अत्यंत सराहनीय बताते हुए कहा कि “सोमेश्वर व्यास जी का यह संकलन केवल पुरानी वस्तुओं का संग्रह मात्र नहीं है, बल्कि यह बच्चों के लिए प्रेरणा का अद्भुत स्रोत है। इस प्रदर्शनी से विद्यार्थियों को सिक्कों के इतिहास, मुद्राओं की विविधता, डाक टिकटों पर अंकित महापुरुषों के बारे में जानने का अवसर मिल रहा है।”

मीणा ने आगे कहा कि शाहपुरा राजाधिराज द्वारा समय-समय पर जारी किए गए आदेश पत्र, फुलिया गेट की ऐतिहासिक चाबी तथा अन्य दुर्लभ वस्तुएं बच्चों को अपने इतिहास और विरासत को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

इस दौरान संग्रहकर्ता सोमेश्वर व्यास ने उपस्थित विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए बताया कि उन्होंने इन सभी वस्तुओं को वर्षों की मेहनत, शोध और रुचि से एकत्रित किया है। उन्होंने बच्चों को समझाया कि पुरानी वस्तुएं केवल दिखने भर की नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति की गवाही देती हैं।

प्रदर्शनी में रखे गए विभिन्न प्रकार के सिक्के, विदेशी मुद्राएं, डाक टिकट और मैच बॉक्स कार्ड बच्चों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण रहे। विद्यार्थी बार-बार इन वस्तुओं को देखने और उनके बारे में जानकारी लेने के लिए उत्सुक दिखाई दिए।

कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों ने प्रदर्शनी का गहराई से अवलोकन किया और कई बच्चों ने अपने जीवन में भी किसी न किसी प्रकार का संग्रह शुरू करने का संकल्प व्यक्त किया। प्रदर्शनी ने बच्चों में न केवल इतिहास और विरासत के प्रति प्रेम बढ़ाया, बल्कि उन्हें ज्ञानार्जन की नई दिशा भी प्रदान की।

विद्यालय प्रशासन ने बताया कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिससे छात्रों में रचनात्मकता और सीखने की उत्सुकता बढ़ सके।