जामुनिया देवनारायण मंदिर परिसर में गोकुल डैयरी ने किया पौधारोपण,
शाहपुरा-पेसवानी
उपतहसील ढ़ीकोला क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक और आस्था का केंद्र माने जाने वाले जामुनिया देवनारायण मंदिर में आज एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस धार्मिक स्थल पर गोकुल डैयरी की ओर से वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मंदिर परिसर और उसके आसपास के क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के उद्देश्य से पौधे लगाए गए।
इस पौधारोपण कार्यक्रम में संगम समूह का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। संगम समूह की ओर से इस पहल के लिए ट्री गार्ड एवं विभिन्न प्रजातियों के पौधे उपलब्ध कराए गए। गोकुल डैयरी ने न केवल इन पौधों का रोपण किया, बल्कि इनकी सार-संभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी स्वयं ली है, जो कि एक अनुकरणीय उदाहरण है।
विशेष रूप से मंदिर परिसर की पाल पर नीम जैसे छायादार और औषधीय गुणों से भरपूर पौधे लगाए गए। नीम का वृक्ष भारतीय संस्कृति में पवित्रता, स्वास्थ्य और पर्यावरण संतुलन का प्रतीक माना जाता है। इन वृक्षों से जहां श्रद्धालुओं को आने वाले समय में ठंडी छाया मिलेगी, वहीं यह वातावरण को शुद्ध बनाने में भी सहायक होंगे।
कार्यक्रम के दौरान गोकुल डैयरी के मैनेजिंग डायरेक्टर अशोक चोबे ने अपने संबोधन में कहा कि “हमारी संस्था केवल दुग्ध उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि समाजसेवा और पर्यावरण संरक्षण जैसे कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाना हमारा दायित्व है। जामुनिया देवनारायण जी जैसे धार्मिक स्थलों को स्वच्छ और हरित बनाना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।”
इस अवसर पर मंदिर के भोपाजी महादेव गुर्जर, राधाकृष्ण गुर्जर, भोजाजी गुर्जर, सोहन जाट, भेरूलाल जाट, सावरलाल, युवा नेता राजू जाट सहित अनेक स्थानीय श्रद्धालु एवं ग्रामवासी उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर सामूहिक रूप से पौधारोपण किया और पर्यावरण सुरक्षा का संकल्प लिया।
भोपाजी महादेव गुर्जर ने भी इस अवसर पर कहा “देवनारायण भगवान का यह स्थान हजारों लोगों की आस्था का केंद्र है, और इस स्थान की पवित्रता के साथ-साथ इसे हरा-भरा बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। गोकुल डैयरी द्वारा किया गया यह कार्य अत्यंत सराहनीय है, जिससे आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी।”
यह कार्यक्रम एक सामान्य पौधारोपण नहीं बल्कि एक सामाजिक और धार्मिक चेतना का माध्यम बना, जिसमें प्रकृति के प्रति श्रद्धा और जिम्मेदारी दोनों ही झलकी। क्षेत्रीय युवाओं की भागीदारी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अब नई पीढ़ी भी पर्यावरण के महत्व को समझने लगी है और अपनी भूमिका निभाने के लिए तत्पर है।आने वाले समय में गोकुल डैयरी द्वारा ऐसे और भी कार्यक्रम किए जाने की संभावना है, जिससे न केवल प्राकृतिक वातावरण को सहेजा जा सके, बल्कि धार्मिक स्थलों की गरिमा में भी वृद्धि हो।