सत्यनारायण सेन गुरला
Kajri Teej 2025: हर साल *कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. *यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए करती हैं. कजरी तीज को उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में कजली तीज, सातूड़ी तीज और बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता* है.
Kajri Teej 2025: आज कजरी तीज है. हरियाली तीज के बाद आने वाली कजरी तीज विवाहित महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से दांपत्य जीवन में सौभाग्य, प्रेम और अटूट बंधन बना रहता है. यह त्योहार रक्षाबंधन के तीन दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से पांच दिन पहले आता है.
कजरी तीज को उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में कजली तीज, सातूड़ी तीज और बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन रात में चंद्रमा की पूजा की जाती है. मान्यता है कि चंद्र देव को अर्घ्य देने से दांपत्य जीवन में खुशहाल रहता है.
कजरी तीज 2025 की सही तिथि
हर साल कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस साल भाद्रपद कृष्ण तृतीया तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:33 बजे से लेकर 12 अगस्त को सुबह 8:40 बजे तक रहेगी. उदिया तिथि के अनुसार, इस वर्ष कजरी तीज 12 अगस्त, मंगलवार को मनाई जाएगी.
कजरी तीज 2025 का शुभ मुहूर्त
इस साल कजरी तीज पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो पूजा और व्रत के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है. इस योग की शुरूआत 12 अगस्त को सुबह 11:52 बजे होगी और यह 13 अगस्त की सुबह 5:49 बजे तक रहने वाला है. मान्यता है कि इस शुभ समय में गौरी-शंकर की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
कजरी तीज 2025 पूजन सामग्री लिस्ट
कजरी तीज व्रत पूजा लिस्ट में श्रीफल, चंदन, गंगाजल, बेलपत्र, दूर्वा घास, शमी के पत्ते, सुपारी, कलश, भांग, मिश्री, धतूरा, अक्षत, घी, कपूर, पंचामृत जरूर होने चाहिए. साथ ही श्रृंगार सामग्री में हरी साड़ी, चुनरी, बिंदी, चूड़ियां, सिंदूर, कुमकुम, मेहंदी, कंघी, बिछुआ और सोलह श्रृंगार की अन्य वस्तुएं रखें.
कजरी तीज 2025 पूजन विधि
इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद मंदिर की साफ-सफाई करें. फिर एक चौकी पर लाल या पीले कपड़ा बिछाकर उस पर शिव-पार्वती की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र, दूध, दही, भांग, धतूरा और गंगाजल और माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें. साथ ही कजरी तीज व्रत कथा पाठ करें और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दकर व्रत का पारण करें.