सवाल उठे – लापरवाही या मजबूरी? कई हादसों के बाद भी चेतावनी व्यवस्था नदारद
*काछोला*
क्षेत्र से गुजर रही बनास नदी इन दिनों तेज बहाव पर है। बावजूद इसके, ग्रामीण जान जोखिम में डालकर राजगढ़–चौहली मार्ग व चैनपुरा पुलिया को पार करने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिया पार न करने की स्थिति में उन्हें महज 2 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव तक पहुंचने के लिए करीब 100 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ता है। यही वजह है कि लोग अपनी और अपने बच्चों की जान जोखिम में डालकर बहते पानी में भी पुलिया पार करने को विवश हो जाते हैं।
क्षेत्र में बनास नदी पर तीन पुलिया बनी हुई हैं, जिनमें से एक क्षतिग्रस्त है और बाकी दो की ऊंचाई बहुत कम होने से तेज बहाव के दौरान जल्दी ही जलमग्न हो जाती हैं। इससे ग्रामीणों की रोजमर्रा की जिंदगी, बच्चों की पढ़ाई और आपातकालीन सेवाओं पर भारी असर पड़ता है
पिछले वर्षों में इन पुलियाओं पर कई हादसे हो चुके हैं। ग्रामीण बताते हैं कि बरसात के दिनों में कई बार लोग बह गए जिनमें जानमाल का नुकसान भी हुआ बावजूद इसके, अब तक न तो चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं और न ही बैरिकेडिंग की व्यवस्था की गई है
ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा –
हमारे बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, पुलिया पर पानी आते ही सबकुछ ठप हो जाता है
कभी किसी को अस्पताल ले जाना होता है तो जान हथेली पर लेकर निकलना पड़ता है
सरकारी अधिकारी सिर्फ अपील करते हैं, लेकिन असल समस्या का हल कोई नहीं करता
इस संबंध में स्थानीय प्रशासन का कहना है कि
बरसात के दिनों में नदी व पुलियाओं पर पानी बहने की स्थिति में ग्रामीणों को सतर्क रहना चाहिए। प्रशासन लगातार अपील कर रहा है कि लोग बहाव के दौरान पुलिया पार करने का जोखिम न लें शीघ्र ही संबंधित विभागों के सहयोग से पुलियाओं की सुरक्षा और चेतावनी व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा
