नवरात्र विशेष : नला का माताजी मंदिर संतान सुख का वरदान और आस्था का अद्भुत केंद्र

BHILWARA
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700 साल पुराने इस शक्तिपीठ में नवरात्र के अवसर पर प्रतिदिन विशेष श्रृंगार, भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण

बिजौलिया। नरेश धाकड़ । आश्विन नवरात्र के अवसर पर राष्ट्रीय राजमार्ग 27 के किनारे स्थित 700 साल पुराने नला का माताजी मंदिर में इन दिनों भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। पहाड़ी पर बसा यह प्राचीन शक्तिपीठ क्षेत्र ही नहीं, बल्कि हाड़ौती और ऊपरमाल के हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र माना जाता है।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निःसंतान दंपत्ति यहां संतान सुख की कामना लेकर आते हैं और माता की कृपा से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इच्छा पूर्ण होने पर भक्त माता को चांदी का पालना अर्पित करते हैं। यही कारण है कि मंदिर में सैकड़ों की संख्या में चांदी और लकड़ी के पालने मौजूद हैं, जो माता की कृपा के जीवंत साक्ष्य माने जाते हैं।

नवरात्र के दौरान मंदिर में प्रतिदिन माता का विशेष श्रृंगार और पूजा-अर्चना होती है। भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में भोजन और ठहरने की निःशुल्क व्यवस्था की गई है। दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु यहां दिनभर माता के दरबार में दर्शन कर अपनी आस्था प्रकट करते हैं।



मंदिर का इतिहास भी उतना ही रोचक है। कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व माता ने स्वप्न में भील जाति के एक व्यक्ति को इस गुफा में मूर्ति स्थापित करने का आदेश दिया था। तभी से यह मंदिर स्थापित हुआ और तब से उनके वंशज ही सेवा कार्य में जुटे हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि यहां पूजा करने से मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।

नवरात्र महोत्सव के आयोजन और व्यवस्थाओं की देखरेख अध्यक्ष शंकरलाल धाकड़ के नेतृत्व में की जा रही है। उनके साथ सादरमजी खेड़ा सरपंच कैलाश धाकड़, विक्रमपुरा के पूर्व सरपंच मुकेश धाकड़, राजू मीणा, शंकर मेहता, जीतमल धाकड़, सुगनलाल धाकड़, अनिल धाकड़, प्रेमचंद मीणा, प्रकाश गुर्जर, रोहित यादव और शांतिलाल धाकड़ सहित कई लोग सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।