डॉ चेतन ठठेरा स्वतंत्र पत्रकार
जयपुर। पूरे देश में दीपावली के पर्व की सरकारी कार्यालय में दो दिन का अवकाश होता है और कहीं-कहीं तो तीन दिन का अवकाश होता है लेकिन इच्छा विभाग के निदेशक के आदेश ने प्रदेश के शिक्षकों को सरकारी विद्यालयों में अवकाश के बाद भी उसे त्योहार पर सभी स्कूलों में दीपावली डिपोज 100 रोशनी करने का आदेश देकर अपने घरों में दीपावली नहीं मना कर अंधेरा रखने का संकेत दिया है शिक्षा निदेशक के इस आदेश को लेकर पूरे राजस्थान में जहां शिक्षकों में आक्रोश और निराशा है वही यह आदेश पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दीपावली के अवकाश चल रहा है और दीपोत्सव का त्योहार 18 अक्टूबर धनतेरस से शुरू हो जाएगा। इधर शिक्षा निदेशक सीताराम जाट में एक आदेश जारी किया है कि प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में 18 अक्टूबर अर्थात धनतेरस से दीपों से अवधि तक मतलब दीपावली तक सभी विद्यालयों में आकर्षक लाइटिंग और बिपाशा किया जाए ताकि स्कूल आकर्षक जगमगाते नजर आए। विदित है कि शिविरा पंचांग के अनुसार इस बार स्कूलों में मध्यावधि अवकाश 13 से 24 अक्टूबर तक रहेगा। दीपोत्सव आदेश से पहले तक प्राचार्य व शिक्षक रंगरोगन और सफाई तक की तैयारी में जुटे थे।
अब सवाल यह है कि
यदि दीपोत्सव के दौरान स्कूलों में रोशनी करनी है, तो शिक्षक अपने घर कैसे जाएंगे क्या घरों में अंधेरा रहेगा ? कई शिक्षक दूर-दराज जिलों में पदस्थापित हैं। दीपावली जैसे पारिवारिक पर्व पर उनके लिए स्कूल आना व्यावहारिक नहीं रहेगा। ऐसे में अवकाश का उद्देश्य भी खत्म हो जाएगा।

स्कूलों में कौन करेगा सजावट ?
प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अधिकतर जगह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और लिपिक नहीं हैं। ऐसे में लाइटिंग और सजावट का काम कौन करेगा, यह आदेश में स्पष्ट नहीं है। शिक्षक मान रहे हैं कि यह व्यवस्था व्यावहारिक नहीं है। अगर पांच दिन दीपोत्सव के दौरान स्कूल जाना होगा, तो शिक्षक अपने परिवार के साथ त्योहार कैसे मनाएंगे? इस आदेश से तू यह लगता है कि शिक्षक अपने परिवार के साथ दीपावली नहीं मनाएं?
ग्रामीण स्कूलों के लिए चुनौती बड़ी
शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भी यह आदेश लागू होगा। इन स्कूलों में अधिकांश स्टाफ रोजाना अपडाउन करता है, लेकिन दीपावली अवकाश में यह संभव नहीं रहेगा। खासकर जिन स्कूलों में महिला शिक्षिकाएं कार्यरत हैं, उनके लिए सुरक्षा और आवागमन दोनों ही बड़ी दिक्कत बनेगी।
17 अक्टूबर तक रंगरोगन जरूरी
निदेशक ने आदेश में यह भी कहा है कि सभी विद्यालयों में 17 अक्टूबर तक रंगरोगन, सफाई और माइनर रिपेयर का कार्य पूरा कर लिया जाए। विद्यार्थी विकास कोष से आवश्यक मरम्मत, पेंटिंग आदि कार्य करवाने और विद्यालयों को सौंदर्यपूर्ण स्वरूप में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
शिक्षक बोले- यह व्यावहारिक नहीं
शिक्षकों का कहना है कि विद्यालयों का सौंदर्यीकरण स्वागतयोग्य है, लेकिन दीपोत्सव अवधि में स्कूल आने का आदेश व्यावहारिक नहीं, बल्कि मानसिक दबाव बढ़ाने वाला है।
