यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा बोले- सरकारी कर्मचारियों को मिली राहत, जनप्रतिनिधियों से भेदभाव क्यों?
जयपुर।
राजस्थान में दो से ज्यादा बच्चों वाले उम्मीदवारों को पंचायत और निकाय चुनाव लड़ने से रोकने वाला नियम जल्द हटाया जा सकता है। सरकार ने इस पर गंभीर मंथन शुरू कर दिया है। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि जब सरकारी कर्मचारियों को तीन संतान की छूट मिल चुकी है, तो जनप्रतिनिधियों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। सरकार इस पर विचार कर रही है।
मंत्री खर्रा ने बताया कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री स्तर पर चर्चा हो चुकी है। फिलहाल सभी पक्षों की राय ली जा रही है, जिसके बाद सरकार अंतिम निर्णय लेगी। उन्होंने कहा, “जब कर्मचारी और जनप्रतिनिधि दोनों ही सार्वजनिक सेवा से जुड़े हैं, तो नियम भी समान होने चाहिए।”
भैरोंसिंह सरकार के समय लगा था प्रतिबंध
यह नियम वर्ष 1994-95 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत की सरकार ने लागू किया था। इसके तहत दो से अधिक बच्चे होने पर पंचायत या निकाय चुनाव लड़ने पर रोक है। यहां तक कि चुनाव जीतने के बाद तीसरा बच्चा होने पर पद भी छिन सकता है।
कर्मचारियों को पहले ही मिली राहत
2002 में सरकारी नौकरी के लिए भी ऐसा ही प्रावधान था, पर वसुंधरा सरकार ने 2018 में नियमों में ढील दी। अब तीसरे बच्चे पर प्रमोशन रोकने की अवधि 5 साल से घटाकर 3 साल कर दी गई है।

विधानसभा में भी उठा मुद्दा
इस साल चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया था कि जब सांसद-विधायकों पर यह रोक नहीं है, तो सरपंचों-प्रधानों पर क्यों? तब सरकार ने कहा था कि यह मामला गंभीर है और इस पर विचार किया जाएगा।
यदि सरकार यह प्रतिबंध हटा देती है, तो राजस्थान देश का पहला राज्य बन सकता है, जहां दो से अधिक बच्चों वाले भी पंचायतीराज और निकाय चुनाव लड़ सकेंगे।

























