अक्षय नवमी पर कल्पवृक्ष-आंवला पूजनः उमड़ा आस्था का सैलाब, सुख-समृद्धि, अखंड सौभाग्य के लिए किया व्रत और दान

BHILWARA
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भीलवाड़ा, । कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पुण्यदायी आंवला नवमी (अक्षय नवमी) के पावन अवसर पर आज भीलवाड़ा स्थित हरी सेवा धाम उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में प्रकृति पूजन और सनातन हिंदू धर्म की मान्यताओं का अद्भुत संगम देखने को मिला।



इस अवसर पर क्षेत्र की बड़ी संख्या में महिलाओं ने मंदिर परिसर में स्थापित कल्पवृक्ष और आंवला वृक्ष की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना और परिक्रमा की। इस धार्मिक अनुष्ठान के माध्यम से महिलाओं ने न केवल अपनी आस्था का प्रदर्शन किया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी सशक्त संदेश दिया।



विष्णु का वास, अक्षय फल की कामना

सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक शुक्ल नवमी को ही द्वापर युग का आरंभ हुआ था। साथ ही, यह माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने आंवले के वृक्ष में वास किया था। पुराणों के अनुसार, आंवला वृक्ष को कल्पवृक्ष के समान फलदायी माना गया है, जिसमें समस्त देवी-देवताओं का निवास होता है।

इसी आस्था के साथ, हरी सेवा धाम में महिलाओं ने आंवले और कल्पवृक्ष को विधिवत स्नान कराया। इसके उपरांत, उन्होंने रोली, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य और मौली (रक्षा सूत्र) अर्पित कर पूजन संपन्न किया।

108 परिक्रमा और भजन-कीर्तन

महिलाओं ने अपने परिवार की सुख-समृद्धि, पति के अखंड सौभाग्य और खुशहाली की कामना से वृक्ष के चारों ओर 108 परिक्रमाएँ लगाईं और वृक्ष को रक्षा सूत्र बांधा। इस दौरान पारंपरिक भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चार से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।


पूजन के बाद महिलाओं ने आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर कथा श्रवण किया और प्रसाद ग्रहण कर अपने व्रत का पारण किया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी के दिन किए गए दान-पुण्य, पूजा और व्रत का फल अक्षय (कभी न खत्म होने वाला) होता है। हरी सेवा धाम में आयोजित इस कार्यक्रम ने भीलवाड़ा की जनता को धर्म के साथ-साथ प्रकृति के महत्व से भी गहराई से जोड़ा।