तिलस्वा महादेव मंदिर ट्रस्ट और संघर्ष समिति के बीच टकराव गहराया, श्रद्धालु बेहाल

BHILWARA
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ऑफिस पर ताले, बंद हुई रसीदें और कैदियों का रजिस्ट्रेशन; मंदिर में बाउंसर तैनात

तिलस्वा । भीलवाड़ा जिले के प्रसिद्ध शिवधाम तिलस्वा महादेव मंदिर में शुक्रवार को मंदिर ट्रस्ट ने अपना कार्यालय बंद कर ताले जड़ दिए। यह कदम मंदिर ट्रस्ट और तिलस्वा महादेव संघर्ष समिति के बीच पिछले कई महीनों से चल रहे विवाद के बीच उठाया गया है। इसका सीधा असर श्रद्धालुओं पर पड़ा है — भेंट की रसीदें नहीं कट रही, चर्म रोगियों के रजिस्ट्रेशन ठप हैं और कैदियों के ठहराव व भोजन व्यवस्था पर संकट खड़ा हो गया है।

ट्रस्ट कार्यालय के बाहर बैठे बाउंसर

भक्त परेशान, व्यवस्थाएं ठप

जानकारी के अनुसार हर सावन मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन व अभिषेक के लिए आते हैं, लेकिन ट्रस्ट कार्यालय बंद होने से मनोकामना पूरी होने पर दी जाने वाली भेंट की रसीदें काटने की प्रक्रिया भी बंद हो गई। साथ ही, चर्म रोगियों के रूप में आने वाले नए कैदियों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं हो पाया है , जिससे उनकी ठहराव और भोजन की व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लग गया है।

संगठन बनाम ट्रस्ट: आरोप-प्रत्यारोप तेज

तिलस्वा महादेव संघर्ष समिति के नेता कोशल शर्मा ने मंदिर ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है ट्रस्ट वर्षों से पदों पर जमे लोगों द्वारा मनमर्जी से चलाया जा रहा है। लाखों की दानराशि के बावजूद विकास नदारद है, और अब ट्रस्ट मंदिर में बाउंसर लगा रहा है जैसे कोई फिल्मी सितारा आ रहा हो।”

वहीं, ट्रस्ट सचिव मांगीलाल धाकड़ ने आरोपों को नकारते हुए कहा कुछ लोग जानबूझकर हो-हल्ला कर रहे हैं, जिससे कामकाज बाधित होता है। इसी कारण कार्यालय बंद किया गया है, श्रद्धालुओं को हुई असुविधा का जल्द समाधान किया जाएगा।”

ट्रस्ट अध्यक्ष रमेश और सचिव मांगीलाल की सुरक्षा में तैनात बाउंसर

बाउंसर तैनात, खर्च का भी उठ रहे सवाल

मंदिर परिसर में इन दिनों 10 बाउंसर तैनात किए गए हैं, जिन पर रोज़ करीब 15,000 रुपए खर्च हो रहे हैं। ट्रस्ट का कहना है कि यह सुरक्षा के लिए आवश्यक है, वहीं संघर्ष समिति इसे पैसे की बर्बादी बता रही है। कौशल शर्मा ने बताया की सावन मास में होने वाले पारंपरिक अभिषेक की सामग्री भी इस बार ट्रस्ट द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई, जिससे असंतोष और बढ़ गया है।

विकास नहीं, मुकदमेबाज़ी”: संघर्ष समिति का आरोप

संघर्ष समिति ने यह भी आरोप लगाया कि ट्रस्ट जनहित के सवाल उठाने वालों को मंदिर ट्रस्ट के पैसों से कोर्ट केस में घसीटता है, और अब तक विकास के नाम पर कुछ नहीं किया गया। जबकि जोगनिया धाम या सांवरिया सेठ मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों पर व्यवस्थाएं अनुकरणीय हैं।

कार्यालय बंद, कर्मचारी लापता

करीब 40 कर्मचारी मंदिर ट्रस्ट में कार्यरत हैं, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकांश कर्मचारी समय पर नहीं आते और तनख्वाह उठाकर मौज कर रहे हैं। कार्यालय बंद होने और व्यवस्थाएं ठप होने की सूचना उपखंड अधिकारी बिजौलिया को दी गई है। ट्रस्ट सचिव मांगीलाल धाकड़ ने बताया की मंदिर पर कार्यालय बंद है लेकिन कार्य जारी है कर्मचारी भोजन व्यवस्था , क़ैदियों की व्यवस्था देख रहे है ।