जर्जर भवनों पर कार्रवाई तेज — कई स्कूल व आंगनबाड़ियाँ सील

BIJOLIYA
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बिजौलिया में निरीक्षण के दौरान दर्जनों शिक्षण संस्थान पाए गए खतरनाक स्थिति में

बिजौलिया । शिक्षण संस्थानों में जर्जर भवनों को लेकर प्रशासन और विभागों की टीमों ने मंगलवार को कस्बे सहित कई क्षेत्रों में व्यापक निरीक्षण किया। इस दौरान कई स्कूलों और आंगनबाड़ियों के भवन अत्यंत खस्ताहाल और अनुपयोगी पाए गए, जिन्हें तुरंत प्रभाव से सील कर उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई।

उपखंड अधिकारी ने स्कूल भवन को किया सील

उपखंड अधिकारी अजीत राठौड़ ने बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, बिजौलिया के पुराने भवन को पूरी तरह खतरनाक मानते हुए सील करने के आदेश दिए। साथ ही छात्राओं को सुरक्षित आवागमन हेतु मुख्य द्वार बड़ा गेट के उपयोग के निर्देश दिए गए।

कक्षा कक्षों पर लगाई गई रोक

तहसीलदार ललित डिडवानिया ने उच्च प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मीनिवास के तीन कक्षों को खतरनाक स्थिति में पाते हुए विद्यार्थियों और स्टाफ को उनका उपयोग न करने की कड़ी हिदायत दी।

देवनगर स्कूल सील, बच्चों को आंगनबाड़ी में पढ़ाने के निर्देश

मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मालीराम यादव और नोडल प्रधानाचार्य दिलीप सिंह ने प्राथमिक विद्यालय देवनगर को पूर्णतः अनुपयोगी मानते हुए पूरे भवन को सील कर दिया और बच्चों को पास की आंगनबाड़ी में पढ़ाने के निर्देश दिए।

कई स्कूलों में कमरे बंद, वैकल्पिक व्यवस्था के निर्देश

हायर सेकेंडरी विद्यालय गणेशपुरा में तीन कमरे, • सलावटिया में आठ कमरे, • इन्द्रपुरा में दो कमरे, • तिलस्वां का पूरा पुराना भवन, • प्राथमिक विद्यालय बड़ा दरवाजा, दानपुरा व सतकुडिया के पूरे भवन सील कर दिए गए। • उच्च प्राथमिक विद्यालय लोड़दा, • बेरीसाल में चार कमरे व बरामदा, • खड़ीपुर में तीन कमरे व पोल जर्जर पाए जाने पर इन पर प्रतिबंध लगाया गया।

20 आंगनबाड़ियों का निरीक्षण, 9 को किया गया बंद

आंगनबाड़ी सुपरवाइजर संगीता धाकड़ ने मंगलवार को 20 आंगनबाड़ियों का निरीक्षण किया, जिनमें से 9 को खतरनाक स्थिति में पाते हुए बंद करने के निर्देश दिए। इनमें प्रमुख रूप से बड़ा दरवाजा चार नंबर, कोली मोहल्ला तीन नंबर, छोटी बिजौलिया, झाड़ोली, तिलस्वां, चीता बड़ा आदि शामिल हैं।

क्षेत्रवासियों ने की व्यापक सर्वे की मांग

स्थानीय लोगों ने अन्य गांवों में भी जर्जर भवनों की स्थिति का सर्वे कर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब तक इन भवनों की समुचित मरम्मत नहीं हो जाती, तब तक इनका उपयोग पूर्णतः बंद किया जाए ताकि किसी भी दुर्घटना की आशंका से बचा जा सके।