आकोला (रमेश चंद्र डाड)
श्रीमुनिकुलब्रह्मचर्याश्रम वेद संस्थान बरुन्दनी मे सभी 185 वैदिक छात्रों, वेदाध्यापकों सहित अभिभावकों ने श्रावणी उपाकर्म किया। श्री मुरलीधर पंचोली ने बताया कि हमारी संस्था में यह संस्कार प्रतिवर्ष किया जाता है उपाकर्म एक वैदिक वार्षिक अनुष्ठान है, जिसका अर्थ है “आरंभ” या “पुनः आरंभ”, जिसमें उपनयन संस्कार करा चुके द्विज श्रावणी उपाकर्म में अपना यज्ञोपवीत (जनेऊ) बदलते हैं और वेदों के अध्ययन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः जागृत करते हैं।इसमें मुख्यत: वैदिक ऋषियों का तर्पण, पूजन करना तथा गायत्री मंत्र का जाप शामिल होता है, जो प्रत्येक वैदिक व सनातनी को ज्ञान और धर्म के मार्ग के प्रति आध्यात्मिक जड़ों से पुनः जुड़ने का प्रतीक माना जाता है।पंचोली ने बताया कि यह संस्कार अपनी युवा पीढी को यज्ञोपवीत धारण के नियमों व शास्त्रों की रक्षा के प्रति जागरूक करने का संस्कार है जिसे प्रत्येक सनातनी को करना चाहिए।

उपाकर्म के आचार्य सामवेदाध्यापक श्री ईश्वर लाल शर्मा व श्री नीलांबर त्रिपाठी ने सभी का हेमाद्री संकल्प व दशविधि स्नान करवाया उसके बाद गणपति पूजन, ऋषि पूजन, गायत्री पूजन व ऋषि तर्पण करवाया तथा उसके बाद वैदिक विधि से सभी को पंचगव्य प्राशन करवा कर नूतन यज्ञोपवीत धारण करवाई। इस दौरान वेद विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री कैलाश चंद्र जोशी, उपप्रधानाध्यापक श्री हरीश शर्मा वेदाध्यापक उदयलाल शर्मा, सुरेश तिवारी, महेंद्र शर्मा, शिवप्रकाश बंड़ेला, पुष्कर पंचोली, खेमराज सुखवाल, हिमांशु पांडिया, गोविन्द शर्मा सहित सभी वेदाध्यापक उपस्थित थे।