बिजोलिया ।
सीता कुंड महादेव मंदिर के नजदीक 23 सितंबर को मिले नवजात शिशु के प्रकरण ने शनिवार को नया मोड़ ले लिया। मौका तस्दीक और रीक्रिएशन के दौरान पुलिस के सामने आरोपी नाना ने चौंकाने वाला बयान दिया। आरोपी ने साफ शब्दों में कहा मैं अपनी कुंवारी बेटी की इज्जत और समाज में बदनामी से बचना चाहता था, इसलिए मासूम को पत्थरों में दबाने की निर्दयतापूर्ण घटना को अंजाम दिया।
मौके पर सीन रिक्रिएट, हर कदम पुलिस को बताया
मांडलगढ़ पुलिस ने नवजात की मां और नाना दोनों को घटनास्थल पर लाकर पूरा घटनाक्रम दोहराने को कहा। यहां आरोपी नाना ने स्वीकार किया कि वह शक्करगढ़ से बस द्वारा बेटी और नवजात को लेकर सीता कुंड पहुंचा। मंदिर के पास सुनसान जगह देखकर उसने मासूम को पत्थरों के बीच दबाया, उसके मुंह में फेवीक्विक डाली, होठों पर भी चिपकाई और फिर ऊपर भारी पत्थर जमा कर दिए।
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मां भी थी मौजूद
नाना ने यह भी कबूला कि घटना के समय उसकी बेटी (नवजात की मां) भी वहीं मौजूद रही। उसने थोड़ी दूरी से यह सब होते देखा लेकिन रोकी नहीं। घटना को अंजाम देने के बाद पिता-पुत्री बिजौलिया पहुंचे और वहां से तिलस्वा की एक धर्मशाला में जाकर रात गुजारी।
अवैध संबंध और इज्जत बचाने का हवाला
पुलिस के सामने आरोपी ने बताया कि उसकी बेटी के अवैध संबंध उसके साले के बेटे से बने, जिससे यह बच्चा जन्मा। सात माह बाद जब उसे इसकी जानकारी मिली तो उसने बदनामी से बचने के लिए बसोली थाना क्षेत्र के बंधा का खेड़ा गांव नया ठिकाना बनाया और बाद में बूंदी में डिलीवरी कराई। डिलीवरी के कुछ दिन बाद ही उसने मासूम को मारने की योजना बनाकर 23 सितंबर को वारदात को अंजाम दिया।
पुलिस ने जुटाए पुख्ता सबूत
मामले की जांच कर रहे एएसआई रामलाल मीणा ने बताया कि मौके की तस्दीक और रीक्रिएशन में आरोपियों ने अपराध कबूल कर लिया है। बच्चों के साथ की गई निर्दयता पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है और दोनों को जल्द न्यायालय में पेश किया जाएगा।

गौरतलब है की सीता का कुंड में नवजात के साथ हुई मानवता को झकझोरती वारदात में अगर ग्रामीण समय रहते सतर्क न होते तो यह वारदात मासूम की मौत के साथ खत्म हो जाती। पुलिस की कार्रवाई और त्वरित बचाव ने बच्चे की जान बचाई।
अभिभाषक परिषद बिजोलिया के अध्यक्ष सुमित जोशी ने कहा
बीएनएस में ये प्रावधान है की धारा 93 में 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे को माता पिता या सरक्षक द्वारा बच्चे को अरक्षित छौड़ दिया जाता है या एकांत स्थान पर परित्याग कर दिया जाता है तो सात वर्ष की सजा का प्रावधान है एवं बच्चे को मारने का प्रयास किया जाता है या बच्चा मर जाता है तो उक्त एक्ट में हत्या के प्रयास का मामला चलता है । उक्त प्रकरण में निर्दयता करने पर धारा 109 बीएनएस भी जुड़नी चाहिए
