राजस्थान में पंचायत चुनाव में चुनावी खर्च सीमा में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में पंच-सरपंच और जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार अब पहले से कहीं ज्यादा खर्च कर सकेंगे। सरपंच प्रत्याशी का चुनावी खर्च 50 हजार से बढ़ाकर 55 हजार रुपए किया जा सकता है। वहीं जिला परिषद सदस्यों के लिए यह लिमिट 1 लाख 65 हजार हो सकती है। इससे पहले 2019 में पंचायत चुनाव की खर्च सीमा बढ़ाई गई थी। तब खर्च सीमा दोगुनी कर दी गई थी। अब 6 साल बाद फिर से इस पर विचार चल रहा है।
प्रदेश में पंचायती राज चुनाव की खर्च सीमा राज्य निर्वाचन आयोग निर्धारित करता है। उम्मीदवार आयोग की ओर से तय सीमा से ज्यादा खर्च नहीं कर सकते। प्रत्याशियों को परिणाम की घोषणा के 30 दिन के भीतर अपने खर्च की जानकारी जिला निर्वाचन अधिकारी को देनी होगी। मंडे स्पेशल स्टोरी में पढ़िए- अब पंचायती राज चुनाव के प्रत्याशी कितना खर्च कर पाएंगे?
10% या इससे अधिक बढ़ोतरी पर चल रहा विचार
राजस्थान में आखिरी बार 2019 में पंचायत चुनाव में खर्च की लिमिट बढ़ाई गई थी। तब 2014 से चली आ रही लिमिट को लगभग दोगुना कर दिया था। अब एक बार फिर 6 साल बाद इसे बढ़ाने की तैयारी है। राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा- ‘महंगाई को देखते हुए समय-समय पर खर्च की राशि बढ़ाई जाती रही है।’ महंगाई ज्यादा है तो खर्च भी ज्यादा होगा। दूसरी तरफ जनप्रतिनिधि खर्च सीमा में बढ़ोतरी की मांग करते रहे हैं। ऐसे में अगर आयोग खर्च सीमा में बढ़ोतरी नहीं करता है तो प्रत्याशी दूसरे तरीके अपनाएंगे। धनबल का सहारा लेने की आशंका ज्यादा रहती है। आयोग खर्च सीमा बढ़ाकर एक सीमा तय कर देता है तो इससे प्रत्याशी बेवजह धन खर्च नहीं कर पाएंगे। पारदर्शिता भी आएगी।
वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ का कहना है- ‘लोकतांत्रिक देश होने के नाते हर निर्णय लोगों की मांग के आधार पर लिए जाते हैं। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग जनप्रतिनिधियों की मांग को खारिज नहीं कर सकता है। आयोग यदि खर्च सीमा में बढ़ोतरी करने पर विचार कर रहा है तो एक वजह महंगाई भी हो सकती है।’
जमानत राशि हो सकती है डबल
सूत्र बताते हैं कि खर्च सीमा में बढ़ोतरी के साथ-साथ जमानत राशि में भी बढ़ोतरी हो सकती है। प्रदेश में फिलहाल सरपंच पद के लिए जमानत राशि 500 रुपए है। अगर अभ्यर्थी महिला, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है तो जमानत राशि 250 रुपए है। यह राशि ग्राम पंचायत मुख्यालय पर नामांकन भरने की तारीख को रिटर्निंग अधिकारी के पास जहां करवानी होती है। अब यह राशि भी दोगुनी हो सकती है।
खर्च का ब्योरा नहीं दिया तो हो सकते हैं अयोग्य घोषित
राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव खर्च का ब्योरा प्रस्तुत करना होगा। इसके लिए उम्मीदवार को चुनावी व्यय का प्रतिदिन का लेखा रजिस्टर, निर्वाचन व्यय का नकद रजिस्टर और निर्वाचन व्यय का बैक रजिस्टर तथा इन सारे खर्चों को लेकर शपथपत्र भी देना होगा।
शपथपत्र में खर्च का विवरण, खर्च की गई राशि और बकाया राशि का भी प्रतिदिन का हिसाब अटैच करना होगा। खर्च का ब्योरे को आयोग कभी भी देख सकेगा। उम्मीदवार को चुनाव खर्च का यह ब्योरा चुनाव की तारीख से 30 दिन के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी को देना होगा। निर्धारित समय में चुनाव खर्च का लेखा जमा नहीं करवाने वाले को आयोग द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।

पंचायती राज चुनाव में क्या-क्या होते हैं खर्च?
राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के मुताबिक- सभी तरह की प्रचार सामग्री, सभाओं, रैलियों में शामिल वाहन, पोस्टर, बैनर, रैलियों में उपयोग की जा रही सामग्री, साउंड सिस्टम और अन्य चुनावी गतिविधियों पर होने वाले कुल खर्च को कवर करेगी। खर्च की निगरानी के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को अलग से लेखा-जोखा रखना होगा। जिसकी जांच निर्वाचन अधिकारियों द्वारा की जाएगी।
आचार संहिता लगने के बाद से शुरू हुई चुनाव संबंधी व्यवस्थाओं से लेकर काउंटिंग के अंत तक हुए खर्च को चुनावी खर्च में जोड़ा जाता है। इसमें अपने समर्थकों को चाय पिलाने से लेकर खाने की व्यवस्था, गाड़ियों आदि का खर्च भी शामिल होता है।
इसलिए महत्वपूर्ण हैं पंचायत चुनाव
राजस्थान में ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ के तहत पहली बार चुनाव कराने की तैयारी चल रही है। पंचायत चुनाव में पंच, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, प्रधान, उप प्रधान, जिला प्रमुख और उप जिला प्रमुख के चुनाव होने हैं। इनमें सभी चुनाव में पंचायत स्तर की मतदाताओं की सीधी भागीदारी होती है। ऐसे में हर पार्टी का प्रयास पंचायत चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने का रहता है। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने संकेत दिए हैं कि फरवरी 2026 में चुनाव हो सकते हैं।
पड़ोसी राज्य में भी बढ़ाई जा चुकी सीमा
राजस्थान के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के निर्वाचन आयोग ने भी हाल ही में पंचायत चुनाव में खर्च सीमा बढ़ाने का नोटिफिकेशन जारी किया है। वहां ग्राम प्रधान 1 लाख 25 खर्च कर सकेंगे पंचायत चुनाव में। सदस्य क्षेत्र पंचायत 1 लाख और सदस्य जिला पंचायत 2 लाख 50 हजार खर्च कर सकेंगे। वहीं सदस्य ग्राम पंचायत को 10 हजार रुपए चुनाव में खर्च करने की अनुमति दी गई है।
विधानसभा चुनाव में भी बढ़ाई थी खर्च सीमा
2 साल पहले संपन्न हुए राजस्थान विधानसभा चुनावों में भी उम्मीदवारों के खर्च की सीमा बढ़ाकर 40 लाख रुपए की गई थी। विधानसभा चुनाव 2018 में चुनावी खर्च की सीमा 28 लाख रुपए थी। इसके बाद कोरोना महामारी के समय वर्ष 2020 में इसे बढ़ाकर 30 लाख 18 हजार रुपए कर दिया गया। इस लिहाज से देखा जाए तो बीते 7 साल में खर्च सीमा में कम से कम 20% से अधिक बढ़ोतरी की जा चुकी है।
