*सत्यनारायण सेन गुरला*
गुरला/ भीलवाड़ा हाईवे 758 पर जंगली पौधा लैंटाना कैमरा ( क्षेत्र के लोग *जर्मनी* नाम पुकारते ) पौधा एक आक्रामक खरपतवार है जो भारत के जंगलों के लिए एक बड़ा खतरा है, क्योंकि यह तेजी से फैलता है और अन्य पौधों को पनपने से रोकता है। यह एक विषैला पौधा है जो पशुओं में यकृत विषाक्तता और प्रकाश संवेदीकरण (photosensitization) जैसी बीमारियाँ पैदा कर सकता है, हालांकि कुछ शोधों से पता चला है कि इसका उपयोग कीटनाशकों और सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जा सकता है।
लैंटाना कैमरा के मुख्य पहलू:
*आक्रामक प्रसार:* यह पौधा बहुत तेजी से फैलता है और भारत के जंगलों के एक बड़े हिस्से को प्रभावित कर चुका है, जिससे अन्य वनस्पतियां पनप नहीं पाती हैं। बड़े बड़े पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है
*विषैला प्रभाव:* लैंटाना कैमरा पशुओं के लिए विषैला होता है, खासकर इसके हरे फलों के सेवन से पशुओं में यकृत विषाक्तता और प्रकाश संवेदीकरण जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। जिससे जानवरों की चमड़ी उतरने लगती हैं बाद में मौत हो जाती है

*जैविक और पारिस्थितिक प्रभाव:* यह अन्य पौधों के विकास को रोकता है, जिससे जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
आर्थिक पहलू:
*नकारात्मक:* यह कृषि भूमि और चरागाह भूमि को प्रभावित करता है, जिससे पशुधन उत्पादन में कमी आती है।
*सकारात्मक:* इसे खरपतवार प्रबंधन और कीटनाशकों के निर्माण के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके तेल की बाज़ार में अच्छी मांग है, जिससे किसानों को कमाई का जरिया मिल सकता है।
*प्रबंधन और नियंत्रण:*
रासायनिक नियंत्रण: शाकनाशियों जैसे 2,4-D या ग्लाइफोसेट का उपयोग करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है, हालांकि इसके लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाने की सलाह दी जाती है।

*जैविक नियंत्रण:* जैव नियंत्रण कारकों का उपयोग करके भी इसे नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है, लेकिन सफलता सीमित रही है।
*एकीकृत प्रबंधन:* इसके नियंत्रण के लिए एक एकीकृत प्रबंधन दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है, जिसमें कई तकनीकों का एक साथ उपयोग किया जाए।
*ग्रामीणों की मांग*
किसानों की मांग है कि लैंटाना कैमरा ( जर्मनी) एक आक्रामक खरपतवार है इस को सांसद, विधायक सरकार से इस पौधे को खत्म करने की सरकार की और से प्लान बनाएं जिससे किसानों, जंगलों, जानवरों को बचाया जा सके
