शाहपुरा-पेसवानी
शाहपुरा उपखंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली लसाड़िया पंचायत के देवपुरी और मीणा की कोटड़ी ग्रामों में सोमवार को हुई तेज बारिश ने ग्रामीणों की जिंदगी अस्त-व्यस्त कर दी। लगातार कई घंटों तक हुई मूसलाधार वर्षा के कारण चार मकान धराशायी हो गए, वहीं खेतों में पानी भर जाने से किसानों की फसलें संकट में आ गईं। गांव का संपर्क भी मुख्य मार्ग से कट जाने के बाद ग्रामीणों की परेशानी और बढ़ गई है।
मीणा की कोटड़ी गांव में सत्तू मीणा पुत्र बालू मीणा और मुकेश खेमा मीणा के पक्के मकान तेज बारिश की मार सह नहीं पाए और देखते ही देखते ढह गए। इसके अलावा मदन मीणा के मकान के आसपास पानी भरने से दीवारों में दरारें पड़ गईं और मकान क्षतिग्रस्त हो गया। इसी प्रकार देवपुरी ग्राम में भगाराम छोटू माली का मकान भी बारिश की वजह से ढह गया।

इन घटनाओं के बाद दोनों गांवों में दहशत का माहौल है और ग्रामीण रातें खुले आसमान के नीचे बिताने को मजबूर हो रहे हैं।
तेज बारिश से केवल मकानों को ही नहीं बल्कि काश्तकारों को भी बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। खेतों में पानी भर जाने के कारण किसान अपनी फसल को बचाने खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। कई जगहों पर पानी निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं होने से खेत तालाब का रूप ले चुके हैं। किसानों का कहना है कि पहले ही फसल में खराबा हो चुका था, अब इस बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है।
लसाड़िया के पूर्व सरपंच संजय मंत्री ने बताया कि सोमवार को हुई तेज बारिश ने पूरे पंचायत क्षेत्र में तबाही मचा दी है। उन्होंने कहा कि किसानों पर पहले से ही खराबी की मार पड़ी हुई थी, अब यह जलभराव उनकी समस्याओं को और बढ़ा रहा है। मंत्री ने प्रशासन से मांग की है कि तुरंत मौके पर सर्वे कर पीड़ितों को उचित मुआवजा उपलब्ध कराया जाए।
लसाड़िया की वर्तमान सरपंच कांता मंत्री ने बताया कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ग्राम विकास अधिकारी को मौके पर भेजने का आदेश दिया गया था और पंचायत समिति मुख्यालय व तहसील कार्यालय स्थित कंट्रोल रूम को भी सूचित कर दिया गया था। लेकिन घटना के दूसरे दिन भी कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है। ग्रामीणों का कहना है कि आपदा के समय प्रशासन की यह लापरवाही बेहद निराशाजनक है।
देवपुरी और मीणा की कोटड़ी गांवों का बच्छखेड़ा होकर निकलने वाले हाईवे से संपर्क पूरी तरह टूट चुका है। यहां खाल के रास्ते पर एक एक फीट पानी बह रहा है। सड़क पर पानी भर जाने और मिट्टी कटने के कारण आवागमन बाधित हो गया है। इससे गांव के लोग बाहर नहीं जा पा रहे हैं और जरूरी सामान व सुविधाएं भी गांव तक नहीं पहुंच पा रही हैं।
गांववासियों का कहना है कि वे प्राकृतिक आपदा का शिकार हो गए हैं। एक ओर छत उनके सिर से छिन गई है, दूसरी ओर खेतों में खड़ी फसलें बर्बादी की कगार पर हैं। छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा परेशानी झेल रहे हैं। लोगों को रात में खुले में रहना पड़ रहा है, जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। ग्रामीणों और किसानों ने जिला प्रशासन से तत्काल राहत सामग्री उपलब्ध कराने, मकान ढहने से प्रभावित परिवारों को अस्थायी आश्रय दिलाने और फसलों का मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं किया गया तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। लसाड़िया पंचायत क्षेत्र की यह घटना बताती है कि प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी पर्याप्त तैयारी नहीं है। बारिश से तबाही झेल रहे गांववासियों को प्रशासन की ओर से त्वरित मदद और पुनर्वास की दरकार है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए तो यह समस्या और गहराने के साथ-साथ आमजन के जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।