हरियाली अमावस्या पर प्रकृति का उत्सव ; गुरला की वादियों में छाया हरियाली का जादू, रणजीत सागर तालाब की लहरें कर रहीं स्वागत, इतिहास की ओर बढ़ते कदम

BHILWARA
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सत्यनारायण सेन, गुरलां | भीलवाड़ा

हरियाली अमावस्या के पावन अवसर पर भीलवाड़ा जिले के गुरला क्षेत्र में प्रकृति ने अपने अद्भुत सौंदर्य से मानो उत्सव का आयोजन कर दिया हो। मानसून की मेहरबानी से पर्वतीय श्रृंखलाएं हरियाली की चादर ओढ़े हुए हैं और समूचा वातावरण श्रद्धा, शांति व सौंदर्य का संदेश दे रहा है।

यहां की पहाड़ियों पर विराजित मां कालिका के मंदिर में आज बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं। मंदिर समिति के अनुसार, हर वर्ष अगस्त में यहां हरियाली अपने चरम पर होती थी, लेकिन इस बार जुलाई में ही प्रकृति ने ऐसा श्रृंगार कर लिया है कि पूरा क्षेत्र कश्मीर की छटा बिखेरता नजर आ रहा है।

रणजीत सागर तालाब में पहाड़ों से रिसकर गिरती पानी की धाराएं और उसकी लहरें इस दृश्य को और भी मोहक बना रही हैं। बलखाती हाइवे 758 से गुजरते समय जब दृष्टि पहाड़ियों से होते हुए तालाब तक पहुंचती है, तो मन मंत्रमुग्ध हो उठता है। यह दृश्य केवल हरियाली का नहीं, बल्कि धरती और पर्वत के मिलन का प्रतीक भी है — मानो मानव, प्रकृति और आस्था एक साथ मुस्कुरा रहे हों।

गुरला का ऐतिहासिक गढ़ भी इस प्राकृतिक सौंदर्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। इतिहास और प्रकृति का यह संगम इस स्थान को पर्यटन की दृष्टि से भी विशेष बना रहा है। यही कारण है कि गुरला को अब “भीलवाड़ा का कश्मीर” कहा जाने लगा है।